BIG BREKAING : छत्तीसगढ़ में कोरोना के अलावा और एक संकट का भय, राजस्थान से आ रहे संकेत, अगले महीने…
रायपुर/नवप्रदेश। छत्तीसगढ़ में कोरोना (corona in chhattisgarh) का संकट लगातार गहराता जा रहा। लेकिन कोरोना के साथ ही राज्य में एक और संकट मंडरा रहा है। हालांकि छत्तीसगढ़ में ये संकट कोरोना (corona in chhattisgarh) की तरह किसी बीमारी का नहीं है, पर राज्य की अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल असर डाल सकता है। यह पिछले साल की तरह मौसमी संकट (weather crisis in chhattisgarh) हो सकता है।
धान का कटोरा कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ के किसानों को इस संभावित मौसमी संकट (weather crisis in chhattisgarh) का नुकसान पहुंच सकता है। क्योंकि कम दिन की प्रजाति वाले धान को पानी से बचाना इस बार भी किसानों के सामने चुनौती हो सकता है। दरअसल सितंबर माह में छत्तीसगढ़ से दक्षितण पश्चिम मानसून की विदाई हो जाती है। लेकिन इस बार भी पिछले साल की तरह मानसून (south east monsoon) की विदाई के सितंबर और यहां तक कि अक्टूबर के पहले हफ्ते तक आसार दिखाई नहीं दे रहे हैं।
ऐसा है मानसून का गणित
मौसम केंद्र, रायपुर के वैज्ञानिक एचपी चंद्रा के मुताबिक, देश में मानसून की दस्तक केरल से होती है और सबसे अंत में यह राजस्थान में पहुंचता है। वहीं मानसून की विदाई की शुरुआत राजस्थान से होती है। आम तौर पर राजस्थान से दक्षिण पश्चिम मानसून की विदाई की शुरुआत 31 अगस्त से होती है। फिर 20-30 सितंबर के बीच छत्तीसगढ़ से मानसून की विदाई होती है। लेकिन इस बार अब तक राजस्थान से ही मानसून की विदाई के स्पष्ट संकेत नहीं मिल रहे हैं।
चंद्रा ने बताया कि मानसून की विदाई के लिए एंटी साइक्लोन बनना, लगातार पांच दिन तक किसी भी सब डिविजन में बारिश नहीं होना और आद्रता का 1.5 किमी या इसके नीचे आना चाहिए। लेकिन राजस्थान में ये चीजें दिखाई नहीं दे रही हैं। इसलिए अभी वहां से मानसून की विदाई की शुरुआत हो चुकी है ऐसा नहीं कहा जा सकता। वहां मानसून के कंपोनेंट अब पूरी तरह खत्म नहीं हुए है।
यानी अगले माह भी बारिश के आसार
चंद्रा के मुताबिक यदि राजस्थान से मानसून की विदाई के करीब हफ्ते भर बाद ही छत्तीसगढ़ से मानसून की विदाई की बात कही जा सकती है। लेकिन अभी मानसून की द्रोणिका मौजूद है। अक्टूबर के पहले हफ्ते तक प्रदेश के विभिन्न इलाकों में छिटपुट बारिश हो सकती है। कल यानी 28 सितंबर को भी कहीं-कहीं बारिश के आसार हैं। हालांकि बस्तर को छोड़ अन्य इलाकों में बारिश का असर ज्यादा नहीं होगा। छिटपुट बारिश में धान की फसल को नुकसान नहीं होगा। हां, लकिन यदि कहीं ज्यादा बारिश हो गई तो फसल के लिए यह प्रतिकूल हो सकती है।
क्या करें किसान
जिन किसानों का कम दिन की प्रजाति वाला धान कटने का आ गया है वे मौजूदा परिस्थितियों के मद्देनजर बड़े रकबे की कटाई के लिए 10-12 अक्टूबर तक इंतजार कर लें तो ज्यादा अच्छा है। क्योंकि मौजूदा परिस्थिति में मानूसन की विदाई में इतना वक्त लगना संभावित है। ध्यान रखें कि मौसम की उक्त जानकारी अनुमानों पर आधारित हैं। ऐसा ही होगा, ये कहा नहीं जा सकता। लेकिन यदि ज्यादा बारिश व हवा चली तो कोरोना (corona in chhattisgarh) के बीच एक और संकट की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।