Corona Control : कोरोना नियंत्रण में सफल रहे गहलोत…
Corona Control : राजस्थान की राजनीति में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कांग्रेस पार्टी में एकछत्र राज करने वाले सिरमोर राजनेता बन गए है। तमाम तरह की राजनीतिक दिक्कतों का कुशलता से मुकाबला करते हुए उन्होंने अपनी राजनीतिक परिपक्वता का परिचय दिया है। उन्हें एक तरफ विपक्षी दल भाजपा से मुकाबला करना पड़ता है तो दूसरी तरफ अपनी ही पार्टी कांग्रेस के असंतुष्ट नेताओं को भी साधना पड़ रहा है। दो तरफा मुश्किलों में भी गहलोत बिना हिम्मत हारे मजबूती से मुकाबला कर प्रदेश का नेतृत्व कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री के रूप में अशोक गहलोत (Corona Control) तीसरी बार राज चला रहें हैं। लंबे समय तक मुख्यमंत्री के रूप में शासन करने वाले गहलोत देश में उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह के बाद वर्तमान में सबसे अधिक समय तक मुख्यमंत्री का पद संभालने वाले राजनेता है।
कांग्रेस के छात्र संगठन एनएसयूआई से राजनीति शुरू करने वाले गहलोत की गिनती आज देश के वरिष्ठ नेताओं में होती है। तीन बार मुख्यमंत्री के अलावा गहलोत तीन बार केंद्रीय मंत्री, तीन बार राजस्थान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष, कांग्रेस के राष्ट्रीय संगठन महासचिव, सेवा दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष सहित पांच बार सांसद एंव पांच बार विधायक बने हैं।
हालांकि गहलोत के पिछले दो मुख्यमंत्री के कार्यकाल में उन्हें पार्टी के अंदर बड़ी चुनौती का सामना नहीं करना पड़ा था। उसके उलट इस बार उन्हे अपनी ही पार्टी में विरोधी गुट के नेताओं से लगातार मिल रही चुनौतियों का भी मुकाबला करना पड़ रहा है। इसके उपरांत भी वह प्रदेश में उत्तरोत्तर विकास योजनाओं को लागू कर रहें हैं। जिसका फायदा प्रदेश के आमजन को मिल रहा है। पिछले विधानसभा चुनाव में प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार थे। मगर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अनुभवी नेता अशोक गहलोत को ही मुख्यमंत्री बनवाया।
सचिन पायलट को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद के साथ उप मुख्यमंत्री बनाया गया था। उस समय पायलट समर्थक कई विधायकों को भी मंत्री बनाया गया था। मगर एक साल पूर्व सचिन पायलट ने अचानक ही अपने साथ कांग्रेस के 18 अन्य विधायकों को लेकर मुख्यमंत्री गहलोत के खिलाफ बगावत कर दी थी। उस समय सचिन पायलट अपने समर्थक विधायकों के साथ एक महीने तक गुडग़ांव के एक होटल में ठहरे थे।
सचिन पायलट की बगावत में कांग्रेस आलाकमान ने भाजपा का हाथ मानते हुए सचिन पायलट को उप मुख्यमंत्री व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से तथा उनके समर्थक दो अन्य मंत्रियों महाराजा विश्वेंद्र सिंह व रमेश मीणा को भी मंत्री पद से बर्खास्त कर दिया था।
उसके बाद कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी व दिवंगत नेता अहमद पटेल के हस्तक्षेप (Corona Control) के बाद सचिन पायलट ने बगावत छोड़ कर फिर से कांग्रेस की मुख्यधारा में शामिल हुये थे। बगावत के समय पायलट के साथ अधिक विधायक नहीं जुट पाए थे। मुख्यमंत्री गहलोत को समय रहते पायलट की बगावत का आभास होने से उन्होंने पायलट समर्थक कई विधायकों को तोड़कर अपने पक्ष में कर लिया था। गहलोत के प्रयासों से दो को छोड़कर पायलट समर्थक सभी मंत्री सरकार के पक्ष में हो गए थे।
राजनीतिक प्रेक्षकों के अनुसार संख्या बल के अभाव में मजबूर होकर पायलट को अपने समर्थक विधायकों की सदस्यता बचाने के लिए फिर से कांग्रेस खेमे में लौटना पड़ा था। उसके बाद से पायलट लगातार पार्टी की मुख्यधारा में आने का प्रयास कर रहे हैं। मगर अभी तक उनका व उनके समर्थक विधायकों का राजनीतिक वनवास समाप्त नहीं हुआ है। पायलट चाहते हैं कि उनके समर्थक छ: से आठ विधायकों को मंत्री बनाया जाए। जबकि गहलोत इसके पूरी तरह खिलाफ है। इसी कारण अभी तक राजस्थान मंत्रिमंडल का पुनर्गठन अटका पड़ा है।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पायलट की बगावत के बाद भी कोरोना की पहली व दूसरी लहर के दौरान प्रदेश में कोरोना पर नियंत्रण के प्रभावी उपाय किए थे। जिसके फलस्वरूप प्रदेश में कोरोना नियंत्रित हो पाया है। मार्च 2020 में अशोक गहलोत देश के पहले मुख्यमंत्री थे जिन्होंने कोरोना की आशंका को भांपते हुए प्रदेश में सबसे पहले 18 मार्च 2020 को सम्पूर्ण लाकडाउन लगाया था। प्रदेश के भीलवाड़ा जिले में कोरोन नियंत्रण के लिये किया गया प्रबंधन तो पूरे देश में एक मिसाल बना था। जिसकी प्रधानमंत्री ने भी तारीफ की थी। कई राज्य सरकारों ने उस वक्त भीलवाड़ा माडल अपनाकर कोरोना पर नियंत्रण पाया था।
कोरोना की दूसरी लहर के बाद भी मुख्यमंत्री गहलोत ने प्रदेश में कड़ाई लागू कर रखी हैं। सभी तरह की धार्मिक, राजनीतिक, सामाजिक गतिविधियां प्रतिबंधित है। विवाह में भी मात्र 25 लोग ही अनुमत है। राजस्थान में अभी प्रतिदिन पचास के करीब कोरोना संक्रमित केस मिल रहे हैं। उसके उपरांत भी प्रदेश के सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रो तक पर ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट लगाए जा रहे हैं। प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं को सुदृढ़ किया जा रहा है। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग में रिक्त पड़े पदों पर बड़े पैमाने पर भर्तियां की जा रही है। प्रदेश में स्वीकृत मेडिकल कॉलेजों का काम फास्ट ट्रैक पर शुरू करवाया जा रहा है।
प्रदेश की निजी जांच केन्द्रो पर मात्र 350 रूपये में कोरोना की जांच हो रही है जो देश में सबसे कम दर है। राज्य सरकार कोरोना की संभावित तीसरी लहर का मुकाबला करने के लिए पूरी मुस्तैदी से जुटी हुई है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने स्वास्थ्य की यूनिवर्सल हेल्थ स्कीम लॉन्च की है। जिस पर राज्य सरकार तीन हजार पांच सौ करोड रुपए खर्च करेगी। मुख्यमंत्री जन स्वास्थ्य योजना के नाम से एक अप्रैल 2021 से शुरू की गई इस योजना में प्रदेश के सभी परिवारों को पांच लाख रूपये तक का कैशलेस स्वास्थ्य बीमा दिया जा रहा है।
इसमें बीपीएल, खाद्य सुरक्षा से जुड़े परिवार, अनुबंधित सरकारी कर्मचारियों को निशुल्क तथा अन्य सभी लोगों को 850 रुपए वार्षिक प्रीमियम जमा कराने पर उस व्यक्ति के पूरे परिवार को एक वर्ष तक के लिए पांच लाख की कैशलेस चिकित्सा सुविधा मिलेगी। इसमें प्रदेश के सभी सरकारी अस्पतालों के अलावा पांच सौ के करीब निजी अस्पतालों को भी शामिल किया जा चुका है।
यह मुख्यमंत्री गहलोत (Corona Control) की एक महत्वकांक्षी योजना है। इससे प्रदेश का आम आदमी खुद को चिकित्सा सुविधा के मामले में सुरक्षित समझेगा। ऐसी योजना करने को लागू करने वाला राजस्थान देश का पहला राज्य है। हाल ही में मुख्यमंत्री गहलोत ने प्रदेश के किसानों को बड़ी राहत देते हुए उनके ट्यूबवेल के कृषि कनेक्शनों पर प्रतिमाह एक हजार व वार्षिक 12 हजार रूपये तक का अनुदान देने की योजना प्रारंभ की है। इससे किसान वर्ग को बड़ी राहत मिलेगी।
ऐसे ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्य में खेलों को बढ़ावा देने व खेल प्रतिभाओं को आगे बढ़ाने के लिए राजस्थान के राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के 182 खिलाडिय़ों को राजकीय सेवा में विशेष आउट ऑफ टर्न नियुक्ति दी है। इससे खिलाडिय़ों को प्रोत्साहन मिलेगा तथा उनमें देश के लिए पदक जीतने की भावना बढ़ेगी। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतने वाले खिलाडिय़ों को तो सीधे ए श्रेणी के पदों पर नियुक्त किया गया है। राज्य सरकार की खेलों को बढ़ावा देने की नीति के कारण ही प्रदेश के कई खिलाड़ी आगामी ओलंपिक खेलों के लिए चयनित हुए हैं।