Consumer Fraud Case : 344 घर खरीदारों से धोखाधड़ी…हाई कोर्ट ने 182 साल की सजा को सही ठहराया…उपभोक्ता अधिकारों की ऐतिहासिक जीत…दिल्ली हाई कोर्ट ने ठग बिल्डर की अपील खारिज की…

नई दिल्ली, 11 जून| Consumer Fraud Case : दिल्ली हाई कोर्ट ने उपभोक्ता हितों की रक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। 344 घर खरीदारों के साथ धोखाधड़ी के मामले में दोषी राजेंद्र मित्तल की 182 वर्ष की सजा को कोर्ट ने बरकरार रखा है।
यह सजा उपभोक्ता फोरम ने तिरुपति बिल्डर्स प्राइवेट लिमिटेड के पूर्व निदेशक राजेंद्र मित्तल को 1998 में सुनाई थी। कोर्ट ने कहा कि यह कानूनी और वैध है और उपभोक्ता फोरम को यह अधिकार है कि वह अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए कठोर सजा सुना सके।
क्या कहा हाई कोर्ट ने?
न्यायमूर्ति नीना कृष्णा बंसल की एकल पीठ ने कहा कि:
यह सजा जुर्माना न देने की स्थिति में दी गई है, न कि केवल दंडात्मक कार्रवाई के लिए।
यह आदेश उपभोक्ता फोरम के विधिक अधिकारों की पुष्टि करता (Consumer Fraud Case)है।
राजेंद्र मित्तल को वित्तीय आधार पर सजा संशोधन की निम्न फोरम में पुनर्विचार याचिका दायर करने की छूट दी गई है।
क्या है पूरा मामला?
344 खरीदारों को घर देने का वादा, लेकिन जमीन पर कुछ नहीं।
17 फरवरी 1998 को उपभोक्ता फोरम ने 20 मामलों में 1 साल, 324 मामलों में 6-6 महीने की सजा सुनाई – कुल 182 साल की जेल।
मित्तल पहले ही 7 साल से अधिक की सजा काट चुके हैं।
उन्होंने 2020 में हाई कोर्ट में अपील की कि सजा “मनमानी और अधिकार क्षेत्र से बाहर” (Consumer Fraud Case)है।
महत्वपूर्ण संकेत
हाई कोर्ट ने साफ किया कि उपभोक्ता फोरम अधिकतम सजा की सीमा पार कर सकती है, जब वह जुर्माना वसूली और आदेश अनुपालन सुनिश्चित करना चाहती हो।
यह निर्णय देश के उपभोक्ताओं के लिए बड़ी राहत है और भविष्य में रियल एस्टेट घोटालों पर कड़ा संदेश देता है।
यह क्यों है ऐतिहासिक?
यह मामला दिखाता है कि उपभोक्ता संरक्षण कानून सिर्फ कागज़ी नहीं, बल्कि इसका सख्ती से पालन भी संभव है।
पहली बार एक बिल्डर को 182 साल की कैद सजा और वह भी उपभोक्ता फोरम द्वारा, निचली अदालत नहीं – यह अपने आप में मील का पत्थर है।