RBI Dollar Swap : रुपये को थामने आगे आया आरबीआइ, नकदी और स्थिरता का डबल प्लान

RBI Dollar Swap

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आरबीआइ ने रुपये की बढ़ती अस्थिरता और बैंकिंग सिस्टम में नकदी की कमी को देखते हुए एक तीर से दो निशाना साधने की कोशिश की है। इसके लिए केंद्रीय बैंक की तरफ से 13 जनवरी 2026 को 10 अरब डालर (लगभग 90,000 करोड़ रुपये) के डालर और भारतीय रुपये में क्रय-बिक्री करने का स्वैप आपरेशन आयोजन करने का एलान किया है।

यह तीन साल की अवधि का स्वैप होगा यानी अभी बैंक आरबीआइ को डालर बेचेंगे और बदले में रुपये लेंगे। लेकिन तीन वर्ष बाद बैंक रुपये देकर डालर वापस खरीद सकेंगे। इस पूरी प्रक्रिया को (RBI Dollar Swap) के तौर पर देखा जा रहा है, जिससे बैंकिंग सिस्टम में बड़ी मात्रा में नकदी बढ़ेगी।

इस कदम से ब्याज दरों को स्थिर रखने में मदद मिलेगी और बैंक ज्यादा कर्ज बांट कर अर्थव्यवस्था को सहारा देने में सक्षम होंगे। आरबीआइ का यह फैसला मौजूदा आर्थिक हालात में बेहद अहम माना जा रहा है, क्योंकि (RBI Dollar Swap) के जरिए एक साथ मुद्रा बाजार और बैंकिंग सिस्टम दोनों को मजबूती देने का प्रयास किया गया है।

एक दिन पहले ही आरबीआइ ने ओपन मार्केट आपरेशंस (ओएमओ) के जरिये दो लाख करोड़ रुपये की सरकारी प्रतिभूतियों की खरीद का भी एलान किया है। यह खरीद चार बराबर किश्तों में, 29 दिसंबर 2025, 5 जनवरी, 12 जनवरी और 22 जनवरी 2026 को 50-50 हजार करोड़ रुपये की होगी।

इस तरह से दो दिनों में आरबीआइ ने कुल मिलाकर बैंकिंग सिस्टम में करीब तीन लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त नकदी डालने का इंतजाम कर दिया है, जिसे (RBI Dollar Swap) की रणनीति के साथ जोड़कर देखा जा रहा है।

उक्त दोनों कदम भारतीय रुपये को भी स्थिर रखने में मददगार साबित होंगे। पिछले एक महीने से डालर के मुकाबले भारतीय रुपया काफी दबाव में रहा है। एक डालर के मुकाबले रुपये की कीमत 91 के स्तर को छू चुकी है।

विदेशी निवेशकों के भारतीय बाजार से पैसा निकालने और अमेरिकी व्यापार नीतियों की अनिश्चितता जैसी वजहों को इसके प्रमुख कारण के रूप में देखा जा रहा है। आरबीआइ की तरफ से रुपये की गिरावट को रोकने के लिए सक्रियता बढ़ा दी गई है और (RBI Dollar Swap) इसी दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है।

आरबीआइ पहले भी उठा चुका कदम

आरबीआइ ने 2025 में रुपये की स्थिरता के लिए पहले भी कई कदम उठाए हैं। दिसंबर की शुरुआत में पांच अरब डालर का तीन साल का स्वैप आक्शन (16 दिसंबर 2025 को आयोजित) और एक लाख करोड़ रुपये के ओएमओ की घोषणा की गई थी।

आरबीआइ के आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2025 में अब तक ओएमओ, स्वैप व अन्य तरीकों से बैंकिंग सिस्टम में नौ से दस लाख करोड़ रुपये की राशि डाली जा चुकी है। विशेषज्ञों के अनुसार (RBI Dollar Swap) जैसे कदम आने वाले समय में रुपये और वित्तीय बाजार दोनों के लिए राहत देने वाले साबित हो सकते हैं।