BJP अध्यक्ष साय के बयान पर कांग्रेस की चोट, भाजपा दरकती हुई ईमारत बचा ले फिर कांग्रेस की ईट बजाए-सुशील आनंद शुक्ला

BJP अध्यक्ष साय के बयान पर कांग्रेस की चोट, भाजपा दरकती हुई ईमारत बचा ले फिर कांग्रेस की ईट बजाए-सुशील आनंद शुक्ला

Congress's injury on BJP President Sai's statement, BJP should save the crumbling building and then play the bricks of Congress - Sushil Anand Shukla

Congress Counter

रायपुर/नवप्रदेश। Congress Counter : भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय द्वारा वेट कम किये जाने की मांग को लेकर चक्का जाम के आंदोलन की घोषण और वेट कम होने पर ईट से ईट बजा देने की धमकी पर कांग्रेस ने खिसियानी बिल्ली खम्भा नोचे कहावत से साथ पलटवार किया है।

प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला (Congress Counter) ने कहा कि भाजपाई छत्तीसगढ़ में पहले गुटबाजी से जूझ रही भाजपा अपनो दरकती हुई इमारत को तो बचा लें फिर कांग्रेस के ईट बचाने के बारे में कल्पना करें। भाजपाई छत्तीसगढ़ में वेट की दरों को कम करने को लेकर विधवा विलाप कर रहे है। जबकि छत्तीसगढ़ आज भी अपने सीमावर्ती राज्यों से कम वेट लेता है। जिन राज्यों में वेट अधिक वसूला जाता था उन्होंने वेट कम किया। कांग्रेस की सरकार बनने के बाद भूपेश सरकार ने वेट में एक भी पैसे की बढ़ोत्तरी नहीं की है। जबकि रमन शासनकाल में 25 प्रतिशत वेट लिया जाता था जो आज भी है।

संचार प्रमुख शुक्ला ने कहा कि मोदी सरकार एक्साईज ड्यूटी के अतिरिक्त विभिन्न मदो का सेस वसूल रही है। यदि केंद्र सरकार (Congress Counter) पेट्रोल-डीजल पर बढ़ाये गये एक्साईज ड्यूटी और जबरिया सेस में कमी कर दे तो देश में पेट्रोल-डीजल के दाम 40 रू. से भी कम हो जायेगा।

केंद्र सरकार ने कोरोना काल में पेट्रोल-डीजल के दाम पर लगने वाले एक्साईज ड्यूटी को दस गुना तक बढ़ाया था जो 30 व 33 रू. की वृद्धि थी जिसमें कटौती सिर्फ 5 व 10 रू. किया गया। पहले दाम दस गुना बढ़ाती है फिर 2 गुना कटौती कर जनता पर अहसान जताती है। भाजपा द्वारा छत्तीसगढ़ सरकार से वेट कम करने की मांग जनता से धोखा है तथा भाजपा की मुनाफा खोर केंद्र सरकार का बचाव करना है।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 22 नवंबर को होने वाले कैबिनेट में वैट कम किये जाने को लेकर प्रस्ताव रखे जाने की बात कही। उन्होंने कहा कि सभी पड़ोसी राज्य में किस दर पर पेट्रोल-डीजल उपलब्ध हो रहे हैं, उसको अध्ययन करके ही छत्तीसगढ़ के लिए निर्णय लिया जा सकता है।

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