कांग्रेस का आरोप : भाजपा की डूबती राजनीति को बचाने RSS ले रहा धर्मांतरण की आड़

कांग्रेस का आरोप : भाजपा की डूबती राजनीति को बचाने RSS ले रहा धर्मांतरण की आड़

Congress's allegation: RSS is taking the guise of conversion to save BJP's sinking politics

Target to RSS

रायपुर/नवप्रदेश। Target to RSS : धर्मांतरण का मुद्दा प्रदेश में थमने का नाम नहीं ले रहा है। एक तरफ प्रदेश की सत्ताधारी दल छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण विरोधी कानून लागू होने की बात कह कर भाजपा और आरएसएस को थाने में रिपोर्ट लिखवाने की सलाह दे रही है। वहीं भाजपा इस मुद्दे को लेकर आम जनता के बीच जाने की बात कह है। साथ ही प्रदेश सरकार पर धर्मांतरण को बढ़ाने का आरोप भी लगाने में पीछे नहीं है।

प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण जैसी कोई बात है ही नहीं। छत्तीसगढ़ में सभी धर्मावलंबी एक दूसरे के धर्म का पूरा सम्मान करते हुये भाईचारा से रह रहे है। मुद्दाविहीन भाजपा की (Target to RSS) डूबती राजनीति को बचाने के लिये संघ एक बार फिर धर्मांतरण का झूठा राग अलाप रहा है। राज्य में जबरिया धर्मांतरण या प्रलोभन देकर धर्मांतरण की बातें आरएसएस और भाजपा का दिमागी फितूर है। छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण विरोधी कानून अविभाजित मध्यप्रदेश के समय से लागू है। प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने स्पष्ट रूप से कहा है कि कही भी जबरिया धर्मांतरण की कोई भी शिकायत आयेगी उस पर कड़ी कार्यवाही की जायेगी।

संचार प्रमुख शुक्ला ने कहा कि आज तक किसी भी भाजपा या आरएसएस के नेता ने प्रदेश के किसी भी थाने में जबरिया धर्मांतरण के खिलाफ न एक रिपोर्ट लिखाई और न किसी पीड़ित को सामने किया। दरअसल भाजपा और आरएसएस के पास ऐसा कोई प्रमाण है ही नहीं। आरएसएस धर्मांतरण की बातें करके बहुसंख्यक वर्ग में भ्रम फैलाकर भाजपा के राजनैतिक आकांक्षाओं की पूर्ति करना चाहती है। छत्तीसगढ़ में भाजपा के पास जनहित के मुद्दों को उठाने के लिये कोई विषय ही नहीं बचा है।

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की (Target to RSS) सरकार हर वर्ग के भले के लिये काम कर रही है। किसान, युवा, आदिवासी महिला, मजदूर किसी की कोई ऐसी समस्या नहीं है, जिस पर जनता का ध्यान खींच सके ऐसे में भाजपा अपने राजनैतिक पुर्नव्यवस्थापन के लिये आरएसएस के साथ मिलकर धर्मांतरण और सांप्रदायिकता का गंदा खेल खेलने का षड़यंत्र कर रही है। बहुसंख्यक वर्ग में धर्म की हानि का भय दिखा कर भाजपा मतों का ध्रुवीकरण करना चाहती है, लेकिन देश की जनता भाजपा के सांप्रदायिक चरित्र को पहचान चुकी है। अब उनकी विद्वेष फैलाने की राजनीति नहीं चलने वाली।

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