संपादकीय: उमर अब्दुल्ला की सरकार से कांग्रेस का किनारा
Congress sidelines with Omar Abdullah’s government: जम्मू कश्मीर में उमर अब्दुल्ला ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली है। उमर अब्दुल्ला सहित 6 मंत्रियों ने शपथ ग्रहण की है किन्तु इसमें कांग्रेस शामिल नहीं है।
कांग्रेस पार्टी ने उमर अब्दुल्ला की सरकार को बाहर से समर्थन देने का फैसला किया है। गौरतलब है कि नेशनल कांफ्रेन्स और कांग्रेस पार्टी ने गठबंधन बनाकर जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव लड़ा था।
उमर अब्दुल्ला की पार्टी नेशनल कांफ्रेन्स ने 42 सीटों पर जीत दर्ज की और सबसे बड़ी बनकर उभरी। वहीं कांग्रेस को सिर्फ 6 सीटें ही मिल पाई। इसके बावजूद कांग्रेस उमर अब्दुल्ला की सरकार में दो मंत्री पद चाह रही थी।
किन्तु उमर अब्दुल्ला कांग्रेस को सिर्फ एक मंत्री पद देने के लिए सहमत हुए थे। संभवत: यही से बात बिगड़ गई और कांग्रेस ने उमर अब्दुल्ला सरकार से किनारा कर लिया।
हालांकि उमर अब्दुल्ला सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी शामिल हुईं थी।
इसके अलावा आईएनडीआईए में शामिल अन्य पार्टियों के नेता अखिलेश यादव सुप्रिया सुले संजय सिंह और ए राजा सहित सभी प्रमुख विपक्षी पार्टियों के नेता शामिल हुए और यह संदेश देने की कोशिश की गई की आईएनडीआईए एकजुट हैं।
किन्तु कांग्रेस ने सरकार में शामिल न होने का फैसला करके इस संदेह को पुष्ट कर दिया है कि जम्मू कश्मीर में सब कुछ ठीक नहीं है। यही वजह है कि उमर अब्दुल्ला सरकार के सिर्फ 6 सदस्यों ने शपथ ली है।
बाद में शायद कांग्रेस को ही शामिल किया जाए। हालांकि इसकी संभावना कम ही है। वैसे कांग्रेस ने सरकार में शामिल न होने का फैसला करके अदूरदर्शिता का परिचय दिया है
क्योंकि इससे आईएनडीआईए में खटपट की अटकलों को हवा मिल रही है जो महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में आईएनडीआईए के लिए परेशानी का सबब बन सकती है। जब नेशनल कांफ्रेन्स और कांग्रेस ने मिलकर चुनाव लड़ा था तो कांग्रेस को भी उमर अब्दुल्ला सरकार में शामिल होना ही चाहिए था
भले ही कांग्रेस का एक ही मंत्री बनता लेकिन इससे देश में अच्छा संदेश जाता। लेकिन कांग्रेस ने यह मौका गंवा दिया है। उम्मीद की जानी चाहिए की कांग्रेस अपने निर्णय पर पुनर्विचार करेगी और उमर अब्दुल्ला की सरकार में शामिल होगी।