संपादकीय: कांग्रेस को आत्ममंथन करने की आवश्यकता
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Congress needs to introspect
Congress needs to introspect: छत्तीससगढ़ में हुए नगरीय निकाय चुनाव में कांग्रेस को जो करारी शिकस्त मिली है उसे लेकर छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस को आत्ममंथन करने की आवश्यकता है। यह ठीक है कि चुनाव में हार और जीत लगी रहती है और नगरीय निकाय चुनाव में अक्सर यह होता है कि प्रदेश में जिस पार्टी की सरकार होती है उसी पार्टी को नगरीय निकाय चुनाव में सफलता मिलती है जिसकी मुख्य वजह यह होती है की मतदाता यह सोचते हैं कि जिस पार्टी की प्रदेश में सरकार है। उस पार्टी को नगरीय निकायों में विजयी बनाने पर विकास कार्यों में तेजी आएगी।
किन्तु इस चुनाव में जिस तरह कांग्रेस का सुपड़ा साफ हुआ है। उसे देखते हुए कांग्रेस को अपने शर्मनाक पराजय के कारणों की गंभीरतापूर्वक समीक्षा करनी चाहिए। किन्तु कांग्रेस के कुछ नेता अभी भी अपनी हार का ठिकरा ईवीएम के सिर पर फोड़कर अपनी जिम्मेदारी से बंटने की हास्यास्पद कोशिश कर रहे हैं।
इस बारे में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री अमरजीत भगत ने नगरी निकाय चुनाव में कांग्रेस की शर्मनाक हार के लिए कांग्रेस के बड़े नेताओं को जिम्मेदार ठहराया है। उनका कहना है कि छत्तीसगढ़ प्रदेश के शीर्ष नेताओं ने आपसी सांमस्य की कमी के कारण की कांग्रेस पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा है।
यदि कांग्रेस के सभी वरिष्ठ नेता अपने अपने क्षेत्रों तक सीमित नहीं रहते और सामूहिक नेतृत्व में प्रदेशभर में चुनाव प्रचार करते तो चुनाव के ऐसे परिणाम नहीं आते। अमरजीत भगत के इस आरोप को भी गंभीरता से लेने की जरूरत है। उम्मीद की जानी चाहिए कि छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस के बड़े नेता अपने पराजय के कारणों की समीक्षा करेंगे। ताकि उन कमियों को दूर किया जा सके और अगले चुनावों में पार्टी को मजबूती दी जा सके।