Congress MLAs Suspended : छत्तीसगढ़ विधानसभा हंगामा, हसदेव जंगल कटाई पर 32 कांग्रेसी विधायक निलंबित

Congress MLAs Suspended

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छत्तीसगढ़ विधानसभा के शीतकालीन सत्र का तीसरा दिन हंगामेदार रहा और सदन में हसदेव अरण्य में हो रही पेड़ों की कटाई का मामला जोर-शोर से उठा। विपक्ष ने इस मुद्दे पर तत्काल चर्चा की मांग की और स्थगन प्रस्ताव पेश किया, जिसे सत्ता पक्ष ने ठुकरा दिया।

इस निर्णय के बाद सदन का माहौल तनावपूर्ण हो गया और कांग्रेस के 32 विधायक, जिनमें पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत शामिल हैं, नारेबाजी करते हुए सदन के गर्भगृह (Well of the House) में पहुंच गए। इसके चलते विधानसभा ने सभी 32 विधायकों को नियमों के तहत स्वतः निलंबित (Congress MLAs Suspended) कर दिया।

विपक्ष ने सदन में जोर देकर कहा कि हसदेव जंगल में हो रही अंधाधुंध कटाई पर पहले चर्चा होनी चाहिए, बजाय इसके कि अन्य कार्यवाही को प्राथमिकता दी जाए। नेता प्रतिपक्ष डॉ. महंत ने आरोप लगाया कि हसदेव, तमनार और बस्तर जैसे क्षेत्रों में पुलिस छावनी बनाकर जबरन जंगलों को काटा जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि पहले पारित प्रस्तावों को नजरअंदाज कर दिया गया है और यह कार्यवाही निंदनीय है।

उमेश पटेल ने किया कटाक्ष

चर्चा के दौरान कांग्रेस विधायक उमेश पटेल ने सरकार पर कटाक्ष किया और कहा कि वनों की कटाई के लिए ‘पेसा कानून’ (PESA Act) की नियमों की खुलेआम अवहेलना की जा रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि फर्जी जनसुनवाई के बहाने पेड़ों पर आरी चलाई जा रही है। विपक्ष ने जोर देकर कहा कि आदिवासियों और पर्यावरण के हितों को नजरअंदाज करते हुए यह कार्यवाही की जा रही है।

स्थगन प्रस्ताव अस्वीकार करने और संतोषजनक जवाब न मिलने के बाद विपक्ष का गुस्सा चरम पर पहुंच गया। विधायकों ने अपनी सीटों से उठकर सदन के गर्भगृह में जाकर नारेबाजी की। इस कार्रवाई के कारण सदन की कार्यवाही बुरी तरह प्रभावित हुई और हसदेव वन की कटाई, आदिवासी अधिकार और पर्यावरण संरक्षण पर बहस और भी तीव्र हो गई। विपक्ष का आरोप है कि सरकार केवल दो बड़े उद्योगपतियों के हित में खनिज संपदा का दोहन कर रही है और पूरे राज्य और प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा को दरकिनार किया जा रहा है।

इस दौरान विधानसभा (Congress MLAs Suspended) में सभी सदस्यों ने गंभीर ध्यान दिया और इस मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की। विपक्ष ने चेतावनी दी कि अगर वनों की कटाई और आदिवासियों के अधिकारों का हनन जारी रहा, तो राज्य की राजनीति और सामाजिक संतुलन पर गहरा असर पड़ेगा। इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया कि हसदेव वन और अन्य जंगलों की कटाई को लेकर सदन में और जनता में गहरा विरोध व्याप्त है।