Congress Introspection : उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में देश के सबसे पुराने राजनीतिक दल कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा है। इस पराजय के कारणों की कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कंाग्रेस कार्यसमिति की बैठक बुलाकर समीक्षा की है लेकिन आज जरूरत इस बात की है कि कांग्रेस पार्टी अपनी दुर्दशा के कारणों को लेकर गहन विचार विमर्श और आत्मचिंतन करें। चुनाव दर चुनाव कंाग्रेस को पराजय का कड़वा घूंट आखिर क्यों पीना पड़ रहा है।
दो लोकसभा चुनाव में कांग्रेस (Congress Introspection) का ग्राफ नीचे गिरा है और इसके बाद विभिन्न राज्यों के विधानसभा चुनाव में भी उसे हार का ही सामना करना पड़ा है। जिन चार राज्यों में कंाग्रेस की सरकार थी उसमें से एक मध्यप्रदेश उसके हाथ से निकल चुका है। राजस्थान में भी हालात कुछ ठीक नहीं है। पंजाब में कंाग्रेस को अपनी सरकार फिर से बनने की उम्मीद थी लेकिन वहां उसे आम आदमी पार्टी नेे शर्मनाक पराजय के लिए बाद्ध कर दिया। उत्तर प्रदेश में तो कंाग्रेस पार्टी ने ३८० उम्मीदवारों की जमानत जब्त करवाकर एक नया कीर्तिमान रच डाला है।
उत्तराखण्ड, मणिपुर और गोवा में भी कांग्रेस को करारा झटका लगा है। निश्चित रूप से कांग्रेस पार्टी के लिए ये बड़ा आघात है। इसके पूर्व बंगाल विधानसभा चुनाव में भी कांग्र्रेस को शर्मनाक पराजय मिली थी, जहां कांग्रेस पार्टी अपना खाता भी नहीं खोल पाई थी। लगभग वहीं स्थिति उत्तर प्रदेश में भी थी जहां किसी तरह उसने दो सीटें जीत कर अपना खाता खोल दिया। सत्ता के सेमीफाईनल कहे जाने वाले इन पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजों से यदि कांग्रेस अब भी सबक नहीं लेगी तो आगामी लोकसभा चुनाव में भी उसे इसी तरह की हार का सामना करना पड़ा सकता है और विपक्षी दलों के व्यंग्य बाणों का भी सामना करना पड़ेगा।
पांच राज्यों में कांग्रेस (Congress Introspection) की जो स्थिति बनी है उसे लेकर भाजपा नेता और केन्द्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कांग्रेस पार्टी पर तंज कसा है कि चुनाव कैसे हारना है यह कांग्रेस पार्टी से सीखा जा सकता है। यदि कांग्रेस पार्टी ने अपनी रीति और नीति में बदलाव नहीं किया तो कल को इसी तरह के तंज उनकी अपनी पार्टी के नेता भी कंसने लगेंगे। उम्मीद की जानी चाहिए कि कांग्रेस पार्टी पराजय के कारणों की ईमानदारी से समीक्षा करेगी और अपनी कमियों को दूर कर के एकबार फिर मजबूती के साथ उभरेगी। लोकतंत्र में सत्ता पक्ष के साथ थी विपक्ष का भी मजबूत रहना निहायत जरूरी है इसलिए कंाग्रेस को इस बारे में आत्म चिंतन करना चाहिए।