संपादकीय: डिप्टी स्पीकर पद को लेकर घमासान

संपादकीय: डिप्टी स्पीकर पद को लेकर घमासान

Conflict over the post of Deputy Speaker

Conflict over the post of Deputy Speaker


Conflict over the post of Deputy Speaker : 18वीं लोकसभा के पहले सत्र की शुरूआत हो गई है। इसके पहले दिन ही विपक्ष ने अपने आक्रामक तेवर दिखाए और सदन में संविधान की प्रतियां लहराकर सरकार पर जमकर निशाना साधा और पीएम मोदी पर तानाशाही के आरोप लगाए। जवाब में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी कांग्रेस को आपातकाल की याद दिलाई। पीएम मोदी ने संसद सत्र शुरू होने के पहले मीडिया के साथ चर्चा के दौरान विपक्ष पर तंज कसा और कहा कि आम जनता को विपक्ष के नखरे, ड्रामे, नारेबाजी और व्यवधान नहीं बल्कि संसद की गरिमा बनाए रखने की उम्मीद है, किन्तु संसद सत्र शुरू होते ही सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच स्पीकर और डिप्टी स्पीकर पद को लेकर टकरार शुरू हो गई।

पहले प्रोटेम स्पीकर पद को लेकर मदभेद पैदा हुआ उसके बाद डिप्टी स्पीकर पद पर विपक्ष ने अपना दावा ठोकना शुरू कर दिया। विपक्ष का कहना है कि वह स्पीकर पद पर एनडीए के प्रत्याशी को इसी शर्त पर समर्थन देगा कि डिप्टी स्पीकर पद विपक्ष को दिया जाए। इसी के बाद बात बिगड़ गई। एनडीए ने लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए एक बार फिर ओम बिरला को अपना प्रत्याशी घोषित किया है जिन्होंने अपना नामांकन भी दाखिल कर दिया है। सरकार की ओर से उनके नाम पर सर्वसम्मति बनाने की कोशिश की गई।

केन्द्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने विपक्षी नेताओं के साथ इस बाबत् चर्चा की, लेकिन विपक्ष डिप्टी स्पीकर पद के लिए अड़ गया। एनडीए ने उनकी शर्त मानने से इंकार कर दिया। नतीजतन विपक्ष की ओर से स्पीकर पद के लिए के. सुरेश को प्रत्याशी घोषित किया गया और उन्होंने भी नामांकन दािखल कर दिया। इस तरह स्पीकर पद के लिए चुनाव की नौबत आ गई। अब तक यह परंपरा रही है कि स्पीकर पद सर्वसम्मति से चयन होता रहा है। रही बात डिप्टी स्पीकर (Conflict over the post of Deputy Speaker) पद की तो इसके लिए भी सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच चर्चा के बाद फैसला लिया जाता रहा है।

यदि विपक्ष डिप्टी स्पीकर की शर्त नहीं लगाता और एनडीए प्रत्याशी को अपना समर्थन दे देता तो हो सकता था कि विपक्ष को डिप्टी स्पीकर पद मिल भी जाता, किन्तु विपक्ष की हठधर्मिता के कारण बात बिगड़ गई और अब लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए चुनाव की नौबत आ गई।

संसद में एनडीए को स्पष्ट बहुमत प्राप्त है इसलिए एक बार फिर ओम बिरला का स्पीकर चुना जाना लगभग तय है। इधर आईएनडीआईए मेें भी फूट नजर आ रही है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी शरद पवार गुट के नेता शरद पवार ने बयान दिया है कि लोकसभा अध्यक्ष सर्वसम्मति से चुना जाना चाहिए। वहीं तृणमूल कंाग्रेस ने भी कहा है कि स्पीकर और डिप्टी स्पीकर पद को लेकर विवाद खड़ा करना ठीक नहीं है। विपक्ष को डिप्टी स्पीकर पद की शर्त नहीं रखनी चाहिए थी। तृणमूल कांग्रेस ने इस फैसले को कांग्रेस को एकतरफा बताते हुए इस मामले से खुद को अलग कर लिया है।

बहरहाल डिप्टी स्पीकर पद (Conflict over the post of Deputy Speaker) को लेकर विपक्ष ने टकराव वाला रवईया अपनाकर स्पीकर के चुनाव की नौबत ला दी है। ज्यादा बेहतर यह होता कि विपक्ष सर्वसम्मति से स्पीकर का चयन करने की परंपरा का निर्वहन करता, किन्तु इस बार संसद में विपक्ष बेहद मजबूत स्थिति में है इसलिए वह टकराव के रास्ते पर चलता नजर आ रहा है, जो लोकतंत्र के हित में नहीं है।

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