Compassionate Appointment High Court Ruling : एक ही परिवार में दो सरकारी नौकरी नहीं…बिलासपुर हाई कोर्ट ने अनुकंपा नियुक्ति पर खींची स्पष्ट रेखा…

बिलासपुर, 19 मई। Compassionate Appointment High Court Ruling : बिलासपुर हाई कोर्ट ने एक अहम और दूरगामी प्रभाव डालने वाले निर्णय में स्पष्ट कर दिया है कि अनुकंपा नियुक्ति का उद्देश्य आर्थिक संकट में डूबे परिवार को सहारा देना है, न कि सरकारी नौकरी का विकल्प बनाना।
केस बैकग्राउंड:
मुरारीलाल रक्सेल ने नगर निगम बिलासपुर में अपनी मां के निधन के बाद अनुकंपा नियुक्ति की याचिका दाखिल की थी। माँ नगर निगम की नियमित कर्मचारी थीं, जिनका निधन 21 अक्टूबर 2020 को हुआ था। याचिकाकर्ता ने खुद को आश्रित बताते हुए 2021 में आवेदन किया था।
नगर निगम ने इनकार किया, कोर्ट ने ठहराया जायज़:
नगर निगम ने 2023 में आवेदन यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि याचिकाकर्ता के पिता पहले से ही नगर निगम में कार्यरत (Compassionate Appointment High Court Ruling)हैं। कोर्ट ने इसे पूरी तरह वैध ठहराया और सुप्रीम कोर्ट व हाई कोर्ट के पूर्ववर्ती निर्णयों के हवाले से यह कहा कि यदि परिवार में एक सदस्य सरकारी सेवा में है, तो अनुकंपा नियुक्ति का औचित्य समाप्त हो जाता है।
मानवता बनाम नीति:
याचिकाकर्ता की दलील थी कि उसके पिता से संबंध नहीं थे और वह माँ पर आश्रित था, लेकिन कोर्ट ने इसे असंगत मानते हुए यह स्पष्ट किया कि नीति किसी की व्यक्तिगत परिस्थिति नहीं, बल्कि सामूहिक और निष्पक्ष व्यवस्था को दर्शाती है।
क्या है कानून का स्पष्ट पक्ष:
राज्य शासन के परिपत्र दिनांक 29.08.2016 में स्पष्ट उल्लेख है – यदि परिवार का कोई सदस्य सरकारी नौकरी में है, तो किसी और सदस्य के लिए अनुकंपा नियुक्ति की पात्रता नहीं (Compassionate Appointment High Court Ruling)बनती। यह निर्णय न केवल कानूनी स्पष्टता लाता है, बल्कि भविष्य के विवादों के लिए भी मार्गदर्शन करता है।