Commonland Foundation : पर्यावरण-आदिवासियों के लिए काम कर रहे वैश्विक संगठन के प्रतिनिधि ने की CM से मुलाकात

Commonland Foundation : पर्यावरण-आदिवासियों के लिए काम कर रहे वैश्विक संगठन के प्रतिनिधि ने की CM से मुलाकात

Commonland Foundation: Representative of global organization working for eco-tribals met CM

Commonland Foundation

रायपुर/नवप्रदेश। Commonland Foundation : CM भूपेश बघेल से आज उनके निवास कार्यालय में नीदरलैंड की वैश्विक संस्था के प्रतिनिधि मंडल ने मुलाकात की है। आपको बता दें कि, यह संस्था पर्यावरण की बेहतरी और आदिवासियों की आजीविका के लिए कार्य करती है। कामनलैण्ड फाउण्डेशन के मुख्य कार्यपालन अधिकारी विलियम फरवेर्डा के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने सौजन्य मुलाकात की।

बैगा बहुल दो ग्राम पंचायतों का किया चयन

इस दौरान कामनलैण्ड फाउण्डेशन (Commonland Foundation) ने पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में छत्तीसगढ़ के कबीरधाम जिले के बोडला विकासखण्ड की बैगा बहुल दो ग्राम पंचायतों धोलबज्जा एवं शंभूपीपर का चयन किया है। यहां यह संस्था आदिवासी जन समुदाय के साथ उनके पारंपरिक ज्ञान, विभिन्न योजनाओं के अभिसरण और आधुनिक तकनीक का उपयोग कर पर्यावरण संरक्षण और आदिवासी समुदाय की आजीविका के साधनों के विकास के लिए कार्य कर रही है।

CM बघेल ने विलियम के साथ राज्य में पर्यावरण संरक्षण, जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों को कम करने एवं आदिवासी समुदाय की आजीविका से संबंधित संचालित योजनाओं और उनके सकारात्मक परिणामों के संबंध में विस्तार से विचार-विमर्श किया। CM ने चर्चा के दौरान राज्य मे सुराजी गांव योजना के अंतर्गत संचालित नरवा, गरवा, घुरवा बाड़ी कार्यक्रम, गोधन न्याय योजना एवं मुख्यमंत्री वृक्षारोपण प्रोत्साहन योजना के बारे में बताया। मुख्यमंत्री ने कहा कि इन योजनाओं के द्वारा स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिल रहा है और इससे पर्यावरण भी संरक्षित हो रहा है।

जलवायु अनुकूल व्यावसायिक उत्पादन बढ़ावा देने का सुझाव

मुख्यमंत्री ने आदिवासी समुदाय को आजीविका के लाभप्रद साधन उपलब्ध कराने के लिए कॉमनलैण्ड फाउण्डेशन (Commonland Foundation) द्वारा चयनित ग्राम पंचायतों में वहां की जलवायु के अनुकूल फलों के व्यावसायिक उत्पादन को बढ़ावा देने और उनके प्रसंस्करण का कार्य प्रारंभ करने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि स्थानीय जलवायु के अनुकूल अलग-अलग फलों के लिए अलग-अलग उद्यान विकसित किए जाने चाहिए। फलों का प्रसंस्करण भी वहीं किया जाना चाहिए। साथ ही फलदार पौधों की नर्सरी भी समीप में विकसित की जानी चाहिए।

यहां पैदा होने वाले फलों के उपयोग से न केवल आदिवासियों के पोषण के स्तर में सुधार होगा, बल्कि फलों और फलों के प्रसंस्कृत उत्पादों के विक्रय से उन्हें अच्छी आमदनी भी होगी। इस अवसर पर कामनलैंड फाउण्डेशन के डायरेक्टर लारेंस, हरमा, दिल्ली के सुशील, आदित्य, फाउण्डेशन फॉर इकोलॉजिकल सेक्यूरिटी की मंजीत कौर बल एवं समर्थ संस्था से शुभांगी मौजूद थीं।

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