नक्सलियों के कब्जे से मुक्त हुए कोबरा कमांडर राकेश्वर सिंह, देखें वीडियों… कैसे जनसभा के सामने…
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Jawan Rakeshwar Singh kidnapped by Naxalites.pdf
हमले के बाद जवान को नक्सीलयों ने कब्जे में लिया
बीजापुर/रायपुर। Jawan Rakeshwar Singh kidnapped by Naxalites: सीआरपीएफ की कोबरा यूनिट के कमांडर राकेश्वर सिंह को नक्सलियों ने रिहा कर दिया है। रिहाई के समय नक्सलियों ने जनसभा व ग्रामीणों के सामने जवान को रिहा किया। वीडियों में देख सकते है कि जवान के बाए हाथ में रसी बंधी हुई जिसे एक वर्दी धारी नक्सली छोड़ रहा है वहीं कुछ पत्रकारों द्वारा इसका वीडियों बनाया गया।
जवान राकेश सिंह के चेहरे पर नक्सलियों (Jawan Rakeshwar Singh kidnapped by Naxalites) का खौफ नजर नहीं आ रहा है। रिहाई के बाद उन्हें बीजापुर के सीआरपीएफ कैंप में वापस लाया गया है। माओवादियों ने बीते शनिवार को छत्तीसगढ़ के सुकमा में हमले के बाद उन्हें अगवा कर लिया था। इस हमले में 22 जवान शहीद हो गए थे, जबकि 31 घायल थे।
राकेश्वर सिंह की रिहाई के बाद परिवार में जश्न का माहौल है। राकेश्वर सिंह की पत्नी ने भगवान और सरकार को शुक्रिया है। अभी यह जानकारी नहीं मिली है कि सीआरपीएफ कमांडर की रिहाई किस तरह मुमकिन हुई है।
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राज्य के सुकमा और बीजापुर (Jawan Rakeshwar Singh kidnapped by Naxalites) के सीमावर्ती क्षेत्र में नक्सल विरोधी अभियान में शुक्रवार को सुरक्षा बलों को रवाना किया गया था। इस अभियान में जवान राकेश्वर सिंह भी शामिल थे। शनिवार को टेकलगुड़ा और जोनागुड़ा गांव के करीब सुरक्षा बलों और नक्सलियों के बीच हुई मुठभेड़ में सुरक्षा बलों के 22 जवानों की मृत्यु हो गई तथा 31 अन्य जवान घायल हो गए।
वहीं आरक्षक राकेश्वर सिंह लापता हो गए। शहीद जवानों में सीआरपीएफ के कोबरा बटालियन के सात जवान, सीआरपीएफ के बस्तरिया बटालियन का एक जवान, डीआरजी के आठ जवान और एसटीएफ के छह जवान शामिल हैं।
घर में लौटी खुशी
जम्मू में कोबरा कमांडर के घर में नाच-गाने के बीच उनकी पत्नी मीनू ने कहा कि उन्हें आधिकारिक रूप से सूचित किया गया है कि उनके पति सुरक्षित रूप से वापस आ गए हैं। उनका स्वास्थ्य अच्छा है। उन्होंने इसे अपनी जिंदगी का सबसे अधिक खुशी वाला दिन बताते हुए कहा कि उन्हें पूरी उम्मीद थी कि पति सकुशल घर वापस आएंगे।
नक्सिलयों ने जवान की रिहाई के लिए सरकार से मध्यस्थ नियुक्त करने की मांग की थी। नक्सलियों ने मंगलवार को एक बयान जारी कर कहा था कि 3 अप्रैल को सुरक्षा बल के दो हजार जवान हमला करने जीरागुडेम गांव के पास पहुंचे थे, इसे रोकने के लिए पीएलजीए ने हमला किया है। नक्सलियों ने कहा था कि सरकार पहले मध्यस्थों के नाम की घोषणा करे इसके बाद बंदी जवान को सौंप दिया जाएगा, तब तक वह जनताना सरकार की सुरक्षा में रहेगा।