Coal Mining Approval Process : कोयला खदानों की मंजूरी आसान, अब बोर्ड करेगा फैसला

Coal Mining Approval Process

Coal Mining Approval Process

देश में कोयला उत्पादन (Coal Mining Approval Process) बढ़ाने की दिशा में केंद्र सरकार ने एक अहम और दूरगामी सुधार करते हुए कोयला खदान खोलने की प्रक्रिया को सरल बना दिया है।

कोयला मंत्रालय ने कोलियरी कंट्रोल रूल्स, 2004 में संशोधन कर उस व्यवस्था को खत्म कर दिया है, जिसे लंबे समय से कोयला उत्पादन की राह में सबसे बड़ी बाधा माना जा रहा था। इस बदलाव के बाद अब कोयला कंपनियों को खदान खोलने के लिए अलग से कोल कंट्रोलर ऑर्गनाइजेशन से पूर्व अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं होगी।

सरकार द्वारा 23 दिसंबर 2025 को जारी अधिसूचना के अनुसार कोलियरी कंट्रोल (अमेंडमेंट) रूल्स, 2025 के तहत नियम-9 में संशोधन किया गया है। पहले किसी भी कोयला या लिग्नाइट खदान – चाहे वह नई हो या पुराने आवंटन की—को खोलने के लिए कोल कंट्रोलर ऑर्गनाइजेशन की मंजूरी जरूरी थी।

यहां तक कि 180 दिनों से अधिक समय तक बंद रही खदान को दोबारा शुरू करने के लिए भी अनुमति लेनी पड़ती थी। अब यह प्रक्रिया समाप्त कर दी गई है और कंपनियों को अपने बोर्ड से निर्णय लेने का अधिकार दे दिया गया है।

यह फैसला कोयला खनन प्रक्रिया (Coal Mining Approval Process) को तेज करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। हालांकि, सरकार की नियामक निगरानी पूरी तरह समाप्त नहीं की गई है। कंपनी बोर्ड को यह सुनिश्चित करना होगा कि केंद्र और राज्य सरकारों तथा संबंधित वैधानिक निकायों से सभी आवश्यक स्वीकृतियां पहले ही प्राप्त हो चुकी हों।

इसके अलावा खदान खोलने के 15 दिनों के भीतर कोल कंट्रोलर ऑर्गनाइजेशन को सूचना देना अनिवार्य होगा, जिसके लिए केवल एक निर्धारित फॉर्म भरना होगा। गैर-कंपनी इकाइयों के लिए पूर्व अनुमति की व्यवस्था पहले की तरह जारी रहेगी।

कोयला मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि इस सुधार से खदानों के संचालन में करीब दो महीने तक की समय-बचत होगी। इससे पहले ही रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुका कोयला उत्पादन और तेज हो सकेगा।

वर्ष 2024-25 में देश का कुल कोयला उत्पादन 104.77 करोड़ टन रहा, जो पिछले वर्ष की तुलना में 11.71 प्रतिशत अधिक था। चालू वित्त वर्ष में यह आंकड़ा 111 करोड़ टन तक पहुंचने की उम्मीद जताई जा रही है, जिसमें कैप्टिव और कमर्शियल खदानों की भूमिका अहम होगी।

बढ़ती बिजली, स्टील और सीमेंट उद्योग की मांग के चलते कोयले की आवश्यकता लगातार बढ़ रही है। वर्ष 2024-25 में केवल बिजली क्षेत्र के लिए कोयले की मांग 94 करोड़ टन तक पहुंच चुकी थी। सरकार का मानना है कि सरल मंजूरी प्रक्रिया से ऊर्जा सुरक्षा मजबूत होगी और उद्योगों को समय पर कोयला उपलब्ध हो सकेगा, जबकि नवीकरणीय ऊर्जा के साथ संतुलन भी बनाए रखा जाएगा।

खनन मंजूरी आसान, खदान संचालन में दो महीने की बचत संभव

कोयला मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि इस सुधार से खदानों के संचालन में दो महीने तक की बचत होने की उम्मीद है। उम्मीद है कि पहले से ही रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुका कोयला उत्पादन और तेजी से बढ़ेगा। वर्ष 2024-25 में देश का कुल कोयला उत्पादन 104.77 करोड़ टन रहा था, जो पिछले वर्ष की तुलना में 11.71 प्रतिशत अधिक था।

कोल इंडिया लिमिटेड (सीआइएल) और उसकी सहायक कंपनियों में लगातार कोयला उत्पादन बढ़ा है और चालू वित्त वर्ष के दौरान उत्पादन 111 करोड़ टन तक पहुंचने की उम्मीद है। कोयला मंत्रालय के अनुसार कैप्टिव और कामर्शियल खदानों से उत्पादन में सबसे अधिक वृद्धि दर्ज की जा रही है।

मौजूदा सरकार ने कोयला खनन को लेकर पहले ही ‘सिंगल विंडो क्लियरेंस’ की नीति लागू कर दी है। पिछले पांच वर्षों में हर साल औसतन 10 प्रतिशत की दर से कोयला उत्पादन बढ़ा है।

बिजली, स्टील और सीमेंट सेक्टर से कोयले की मांग में तेज उछाल

भारत में बिजली उत्पादन, स्टील और सीमेंट उद्योगों की बढ़ती मांग के चलते कोयले की जरूरत लगातार बढ़ रही है। वर्ष 2024-25 में बिजली क्षेत्र के लिए कोयले की मांग 94 करोड़ टन तक पहुंच गई थी।

एक अनुमान के मुताबिक देश के ताप बिजली संयंत्रों में कोयले की मांग अगले पांच वर्षों तक लगातार तीन से चार प्रतिशत की रफ्तार से बढ़ती रहेगी। हालांकि नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के बढ़ते उपयोग के कारण बिजली उत्पादन में कोयले की हिस्सेदारी 2025 के लगभग 70 प्रतिशत से घटकर वर्ष 2030 तक 60 प्रतिशत रहने की संभावना जताई जा रही है।