रायपुर । मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने आज यहां मंत्रालय के महानदी भवन में कलेक्टर्स कॉन्फ्रेंस में करीब दो दर्जन से अधिक महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर राज्य शासन के वरिष्ठ अधिकारियों तथा जिलों के अधिकारियों के साथ विस्तार से समीक्षा की। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को सख्त हिदायत दी कि शासकीय कार्यों के निर्वहन में किसी भी प्रकार की कोताही नहीं करें और शासकीय कार्यों को समय-सीमा में गुणवत्तापूर्ण रूप से करें।

बैठक में प्रदेश के मुख्य सचिव श्री सुनील कुजूर, अपर मुख्य सचिव सर्वश्री श्री के.डी.पी. राव, अमिताभ जैन, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव श्री गौरव द्विवेदी, प्रधान मुख्य वन संरक्षक श्री राकेश चतुर्वेदी, छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत कम्पनी के अध्यक्ष श्री शैलेन्द्र शुक्ला सहित सभी प्रमुख विभागों के सचिवगण, संभागायुक्त, कलेक्टर, जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकरी, नगर निगमों के आयुक्त उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सुराजी गांव योजना (नरवा, गरूवा, घुरवा और बाड़ी) खेती-किसानी और पशुपालन की मजबूती के साथ-साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने एक प्रभावी योजना है। यह कोई नया प्रयोग नहीं है बल्कि यह व्यवस्था छत्तीसगढ़ में परम्परागत रूप से रही हैं। इसे वर्तमान दृष्टि से फिर से उपयोगी बनाने की जरूरत है। मवेशियों के खुले में विचरने से जहां किसानों को खेती में कई प्रकार से दिक्कतें आ रही हैं, वहीं सड़क दुर्घटनाओं की संख्या भी बड़ी है। गौठान निर्माण और चारागाह विकास से इस समस्या पर नियंत्रण लगेगा।  जहां गौठान निर्माण हुआ है और पेयजल छाया आदि की व्यवस्था हो गई है। वहां पशुओं का आना शुरू हो गया है। जनसहभागिता से चारा की व्यवस्था की जा रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा की गौठान निर्माण एक धार्मिक नहीं बल्कि आर्थिक कार्य है। गौठान निर्माण के लिए भूमि का चयन एक महत्वपूर्ण कार्य है। इसके लिए उपयुक्त तथा अविवादित जमीन का चयन करें। गौठान निर्माण में सीमेंट कांक्रीट का उपयोग न हो, इससे गर्मी में काफी दिक्कतें आ सकती है। मुख्यमंत्री ने कहा योजना से गांव की अर्थव्यवस्था में आमूल चूल परिवर्तन होगा, इस योजना का सफल क्रियान्वयन दूसरे राज्यों का उदाहरण बनेगा। इसके लिए व्यवसायिक दृष्टिकोण अपनाने, पशु संवर्धन करने, कम्पोस्ट खाद बनाने, चारागाह प्रबंधन करने आदि से रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और छत्तीसगढ़ की प्रति व्यक्ति आय में भी बढ़ोत्तरी होगी। बैठक में सौर सुजला योजना के 20 फीसदी कनेक्शन गौठानों के लिए सुरक्षित रखने का निर्णय लिया गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि योजना में गौठान में एकत्र होने वाले गोबर के उपयोग के लिये बायोगैस संयंत्रों के निर्माण में तेजी लाएं। कम्पोस्ट खाद के प्रमाणीकरण और विपणन की मानक व्यवस्था की जाए ताकि भविष्य में क्रय-विक्रय का कार्य भलीभांति हो सके। बैठक में मुख्य सचिव ने बताया कि प्रदेश में 1866 स्थानों का गौठान निर्माण हेतु चिन्हांकन किया गया है जिसमें से 260 स्थानों पर कार्य प्रारंभ हो चुका है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने पिछले सप्ताह बस्तर, सरगुजा और बिलासपुर संभाग के सात-आठ जिलों में पहुंचकर गौठान और उसके कार्यों का अवलोकन किया है। यहां कराये जा रहे कार्य संतोषजनक है और यहां अच्छा कार्य किया जा  रहा है।
सामुदायिक वनाधिकार पट्टों से नागरिकों को लाभान्वित करें

बैठक में मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कहा वन अधिकार पत्र अधिनियम से परंपरागत रूप से 3 पीढि़यों से वन में रहने वाले और 13 दिसम्बर 2005 के पूर्व के कब्जाधारी आदिवासियों के साथ-साथ गैर आदिवासियों को वन अधिकार पत्र से लाभान्वित करने का कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा बड़ी संख्या मेें आवेदन पत्रों को निरस्त किया गया था। उनकी फिर से समीक्षा की जा रही है। उन्होंने कहा कि व्यक्तिगत आवेदन के साथ-साथ सामुदायिक वनाधिकार पट्टों के प्रकरणों की प्राथमिकता के आधार पर निराकरण करें। अबूझमाड़ के परंपरागत निवासियों को पट्टा बांटने की कार्यवाही शीघ्रतापूर्वक करें। उन्होंने कहा कि यह खुशी की बात है कि वनांचलों में पीढि़यों से रहने वाले गैर-आदिवासियों को भी अब वन अधिकार पट्टा से लाभान्वित किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री ने लोक सेवा गारंटी अधिनियम का क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के लिए सभी संभागों के कमिश्नरों को लगातार मॉनिटरिंग करने, कलेक्टर, एसडीएम, तहसील तथा अन्रू विभागों के कार्यालयों का दौरा करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा आंकड़ों के अलावा यह जरूरी है कि आवेदक अपने आवेदन के निराकरण से संतुष्ट हो। अधिकारियों ने बताया कि जनवरी से मई के बीच पिछले छह महिने में लोक सेवा गारंटी में प्राप्त आवेदनों में से 83 प्रतिशत आवेदनों का निराकरण किया गया है। जबकि इसके पिछले छह माह जुलाई से दिसंबर के बीच करीब 78 प्रतिशत आवेदनों का निराकरण किया गया था। लोक सेवा गारंटी में सभी विभागों की कुल 260 सेवाएं शामिल हैं। उन्होंने इसके क्रियान्वयन में कलेक्टरों की भूमिका पर भी जोर दिया और कहा कि आवेदनों का समय सीमा पर निराकरण होना चाहिए।
पांच बड़े शहरों में स्थापित किए जा रहे हैं सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट

मुख्यमंत्री ने प्रदेश में पेयजल की स्थिति की समीक्षा करते हुए कि अगले वर्ष तक प्रदेश के सभी नगरीय क्षेत्रों तक नलों से जल की आपूर्ति करने और उन्हें टैंकरमुक्त बनाने के निर्देश दिए। बैठक में मुख्यमंत्री ने शहरों का गंदा पानी नदियों में जाने से रोकने के संबंध में लिया संज्ञान लिया। नगरीय विकास विभाग की सचिव ने बताया कि प्रदेश के रायपुर, राजनांदगांव, बिलासपुर सहित पांच बड़े शहरों में बनाए सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित किए जा रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से कहा कि कृषि उपज और वनोपज आधारित खाद्य प्रसंस्करण उद्योग स्थापित करने के लिए अध्ययन कराकर प्लान बनाएं और यूनिट स्थापित करने के लिए जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराएं। उन्होंने कहा छत्तीसगढ़ में कृषि, उद्यानिकी एवं वन उत्पादों का उत्पादन काफी होता है। मुख्यमंत्री ने इमली, चरोटा बीज, टमाटर, आम के प्रोडक्ट, कटहल, स्ट्राबेरी आदि के वैल्यू एडीशन के लिए प्रसंस्करण इकाई लगाए जाने की जरूरत बतायी। बैठक में बताया गया कि जशपुर में हो रहे चाय उत्पादन हेतु जल्द प्रोसेसिंग फैक्ट्री लगाई जाएगी।
मुख्यमंत्री ने शहरी भूमि के पट्टों के नवीनीकरण की समीक्षा की। राजस्व मामलों का निराकरण समय पर करने के निर्देश दिए। इसी तरह जमीनों के बंदोबस्त त्रुटियों के निराकरण के लिए नियमित कैम्प लगाने को कहा। उन्होंने जेनेरिक दवाईयां कि उपलब्धता बढ़ाने के लिए केन्द्र शासन को पत्र लिखकर अधिक से अधिक सप्लायरों की नियुक्ति करने को कहा।