सीएम ने स्कूली बच्चों से कहा- टी-20 प्लेयर जैसे करें बर्ताव, अभिभावकों से…
- कहा- परीक्षा की तैयारी में सहयोग दें, न डालें दबाव
- लोकवाणी में स्कूली बच्चों से रूबरू हुए सीएम भूपेश बघेल
- ‘परीक्षा प्रबंधन और युवा कैरियर के आयाम’ विषय पर हुई चर्चा
- बच्चों से कहा- तैयारी पूरी मेहनत से करें, मोबाइल, इंटरनेट, सोशल मीडिया से बनाएं दूरी
रायपुर/ नवप्रदेश। मुख्यमंत्री (cm baghel talk on exam) भूपेश बघेल ने रविवार को मासिक रेडियोवार्ता लोकवाणी (lokwani) की सातवीं कड़ी में ‘परीक्षा प्रबंधन और युवा कैरियर के आयाम’ विषय पर विद्यार्थियों से आत्मीयता के साथ बातचीत की।
उन्होंने बच्चों को परीक्षा की तैयारी, तनाव से निपटने के उपायों की जानकारी देते हुए बच्चों के अभिभावकों से भी यह आग्रह किया कि वे परीक्षा की तैयारी में अपने ब’चों के सहयोगी बने। परीक्षा में उच्च अंक लाने का उन पर दबाव न डाले।
लोकवाणी (lokwani) में मुख्यमंत्री (cm baghel talk on exam) ने बच्चों से कहा कि समय का पूरा सदुपयोग करें, परीक्षा के समय खाना-पीना सादा रखें, हल्का व्यायाम करें। मोबाइल, टीवी आदि से दूर रहें, जिससे आंखों को आराम मिले और दिमाग भी शांत रहे। बघेल ने कहा कि आप अपना पूरा प्रयास करें अधिक अंक मिले तो अ’छा है और न मिले तो भी अ’छा है। इससे कुछ बनता बिगड़ता नहीं है।
बिना उ’चतम अंक पाए बहुत से लोग अपने बेहतर कार्यों के दम पर शिखर पर पहुंचे हैं। प्रदेश के विभिन्न शहरों और गांवों के ब’चों ने मुख्यमंत्री से अनेक सवाल पूछे जिनका मुख्यमंत्री (cm baghel talk on exam) ने सिलसिलेवार जवाब दिया। भूपेश बघेल ने बच्चों के साथ चर्चा करते हुए कहा कि मैं चाहता हूं कि ज्यादा से ज्यादा समय आपके साथ बिताऊं। बच्चों के साथ बातचीत करने से मुझे भी अपने बचपन के दिन याद आते हैं।
जिन्हें उड़ने का शौक उन्हें नहीं होता गिरने का खौफ
बघेल ने बच्चों का हौसला बढ़ाते हुए कहा कि ‘जो रखते हैं उड़ने का शौक, उन्हें नहीं होता गिरने का खौफ’। मुख्यमंत्री ने परीक्षा के समय होने वाले डर और तनाव से निपटने के उपायों के संबंध में कहा कि सबसे पहले तो इस डर के मनोविज्ञान को समझना जरूरी है।
जब तक आप डर के बारे में सोच-सोचकर डरते रहेंगे, तब तक मन से डर को बाहर निकाल फेंकने का प्रयास शुरू ही नहीं कर पायेंगे। सवाल सिर्फ पढ़ाई के डर का नहीं है, बल्कि स्वभाव का है कि आप हिम्मत वाले, साहसी, निडर कहलाना चाहते हैं या डरपोक। निश्चित तौर पर आप सब साहसी कहलाना पसंद करेंगे।
मुख्यमंत्री ने दिए ये टिप्स
डर दूर करने स्वभाव में परिवर्तन जरूरी
मुझे लगता है कि तैयारी में किसी न किसी कारण से कोई कमी ही डर का कारण बनती है और दूसरा बड़ा कारण है कि आपने जितनी मेहनत की है, उससे अधिक की अपेक्षा रखने पर डर लगता है। बहुत अ’छी तैयारी के बाद भी अगर डर लगता है तो इसका मतलब है कि कहीं न कहीं आत्म विश्वास की कमी है। इस तरह डर दूर करने के लिए अपने स्वभाव में बदलाव भी जरूरी होता है।
टी-ट्वेंटी मैच प्लेयर की तरह करें व्यवहार
तथ्य और तर्क के साथ विचार करने की आदत डालना जरूरी है। परीक्षा के समय बिलकुल ट्वेन्टी-ट्वेन्टी मैच के प्लेयर की तरह व्यवहार कीजिए। जो समय बीत गया, उसके बारे में मत सोचिए। सिर्फ ये सोचिए कि अभी जो समय आप के हाथ में है उसका पूरा सदुपयोग कैसे करेंगे। इस समय खाना-पीना सादा रखें, हल्का व्यायाम करें। मोबाइल, टीवी आदि से दूर रहें, जिससे आंखों को आराम मिले और दिमाग भी शांत रहे।
टाइम-टेबल बनाकर करें पढ़ाई
बघेल ने ब’चों को सुझाव देते हुए कहा कि पूरी पढ़ाई का बोझ एक साथ लेकर न बैंठें। टाइम टेबल बनाकर पढ़ें। जब जिस विषय की पढ़ाई कर रहे हो, तब सिर्फ उस पर ध्यान केन्द्रित करें। इधर-उधर की चिंता न करें, इससे आपकी एक-एक विषय की तैयारी पूरी होती जाएगी।
डर दूर करने के ये उपाय भी बताए
- अपनी रुचि के अनुसार कोई न कोई काम करते रहें।
- दिन में 5-7 मिनट कोई गाना गुनगुना लें, कोई प्रार्थना कर लें।
- थोड़ा उछल-कूद घर पर ही कर लें।
- आखिरी बात है- मन के हारे-हार है, मन के जीते-जीत।