CM Baghel को रास नहीं आ रहा केंद्र का ये कदम, पत्र लिख गिना दिए कई…
रायपुर/नवप्रदेश। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (cm baghel) ने केन्द्र सरकार (central government) के प्रस्तावित विद्युत संशोधन बिल (electricity amendment bill) का विरोध किया है। साथ ही पत्र लिख इसके कई संभावित प्रतिकूल परिणामों को भी गिना दिया है। सीएम ने इसे गरीबों एवं किसानों के लिए अहितकारी बताया है। बघेल ने केन्द्रीय विद्युत मंत्री आरके सिंह को इस बारे में पत्र (letter) लिखकर देश की वर्तमान स्थिति को देखते हुए इस संशोधन बिल (electricity amendment bill) को फिलहाल स्थगित रखने का आग्रह किया है।
मुख्यमंत्री बघेल (cm baghel) ने पत्र में कहा है कि इस संशोधन बिल में क्रास सब्सिडी का प्रावधान किसानों और गरीबों के हित में नही है। समाज के गरीब तबके के लोगों और किसानों को विद्युत सब्सिडी दिए जाने का मौजूदा प्रावधान जांचा परखा और समय की जरूरत के अनुरूप है।
उन्होंने कहा कि यह संशोधन बिल वातानुकूलित कमरों में बैठ कर तैयार करने वाले उच्च वर्ग के लोगों और सलाहकारों के अनुकूल हो सकता है लेकिन यह जमीन सच्चाई से बिलकुल परे है।
उन्होने पत्र (letter) में केंद्र सरकार (central government) से कहा है कि किसानों को विद्युत पर दी जाने वाली सब्सिडी यदि जारी नहीं रखी गई तो किसानों के समक्ष फसलों की सिंचाई को लेकर संकट खड़ा हो जाएगा। इससे खाद्यान्न उत्पादन प्रभावित होगा और देश के समक्ष संकट खड़ा हो जाएगा।
समाज के गरीब वर्ग के लोगों और किसानों को आत्मनिर्भर और सक्षम बनाने के लिए उन्हें रियायत दिया जाना जरूरी है। उन्होंने संशोधित बिल में क्रास सब्सिडी को समिति किए जाने के प्रावधान को अव्यवहारिक बताया है।
सीएम ने बताया किस तरह किसानों को तकलीफ देगा बिल
वर्तमान में लागू डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर सिस्टम को सही बताते हुए बघेल ने कहा कि खेती-किसानी के सीजन में प्रति माह फसलों की सिंचाई के लिए यदि कोई किसान एक हजार यूनिट विद्युत की खपत करता है तो उसे सात से आठ हजार रुपए के बिल का भुगतान करना होगा, जो उसके लिए बेहद कष्टकारी और असंभव होगा।
प्रस्ताव संघीय ढांचे के विपरीत
बघेल ने कहा कि इस संशोधन बिल के माध्यम से राज्य सरकारों के अधिकारों की कटौती तथा राज्य विद्युत नियामक आयोग की नियुक्तियों के अधिकारों को केन्द्र सरकार के अधीन किया जाना संघीय ढांचे की व्यवस्था के विपरीत है। यह बिल राज्य विद्युत नियामक आयोग के गठन के संबंध में राज्यों को सिर्फ सलाह देने का प्रावधान देता है। नियुक्ति के संबंध में राज्य की सहमति आवश्यक नहीं है। यह प्रावधान राज्य सरकार की शक्तियों का स्पष्ट अतिक्रमण है।
निजीकरण को दिया जा रहा बढ़ावा
उन्होंने कहा कि संशोधन बिल में विद्युत के क्षेत्र में निजीकरण को बढ़ावा दिए जाने का प्रावधान किया गया है। इसके तहत सब लाइसेंसी और फ्रेंचाइजी की नियुक्ति का भी प्रावधान है। यह प्रावधान चेक और बैलेन्स की नीति के विरुद्ध है, क्योंकि नियामक आयोग से लाइसेंस लेने के लिए सब लाइसेंसी और फ्रेंचाइजी बाध्य नहीं हैं। इससे यह स्पष्ट है कि यह अधिकार और कर्तव्य के सिद्धांत के भी विपरीत है।
पूंजीवाद को बढ़ावा देने वाला विधेयक
बघेल ने विद्युत वितरण प्रणाली को आम जनता की जीवन रेखा बताते हुए कहा कि इसे निजी कम्पनियों को सौंपा जाना किसी भी मामले में उचित नहीं होगा। यह संशोधन विधेयक पूंजीवाद को बढ़ावा देने वाला और निजी कम्पनियों को इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड को कब्जा दिलाने वाला है।
उन्होंने कहा कि प्रस्तावित संशोधन केंद्र सरकार को नवीकरणीय और पनबिजली खरीद दायित्व को संरक्षित करने के लिए भी शक्ति प्रदान करता है। देश के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग संसाधन हैं।