सीएम ने श्रमिकों के साथ खाई बासी : बोले- मैं गांव का रहने वाला, आपकी समस्या समझता हूं

सीएम ने श्रमिकों के साथ खाई बासी : बोले- मैं गांव का रहने वाला, आपकी समस्या समझता हूं

CM ate stale food with workers: Said- I am a resident of the village, I understand your problem

cm vishnu dev sai

रायपुर/नवप्रदेश। cm vishnu dev sai: गांधी चौक में कामगारों का सम्मान समारोह आयोजित किया गया, जिसमें सीएम विष्णुदेव साय शामिल हुए और उन्होंने श्रमिकों के साथ बोरे-बासी खाया है। विश्व श्रमिक दिवस के मौके पर रायपुर के गांधी चौक में कामगारों का सम्मान समारोह आयोजित किया गया, जिसमें सीएम विष्णुदेव साय शामिल हुए और उन्होंने श्रमिकों के साथ बोरे-बासी खाया है। साथ ही श्रमिकों को बधाई भी दी है और सभी से बातचीत की है।

श्रमिकों से चर्चा के दौरान सीएम साय ने बताया कि, यहां पर 5 रुपये में बेहद अच्छा खाना मिलता है। रमन सरकार के समय पर यह योजना शुरू की गई थी। मैं भी श्रमिकों की परेशानियों को समझता हूं, क्योंकि मैं गांव का ही रहने वाला हूं। आज का दिन आप लोगों के लिए बहुत बड़ा दिन है। प्रदेश का विकास आप लोगों की वजह से हो रहा है। इसलिए श्रमिकों को नमन करता हूं।

श्रमिक दिवस क्यों मनाया जाता है

इंटरनेशनल लेबर डे हर साल 1 मई को बनाया जाता है। यह दिन श्रमिकों के लिए बेहद महत्वपूर्ण दिन होता है। इस दिन उनके योगदान और बलिदानों को सम्मानित किया जाता है। श्रमिकों के जरिए बेहतर कार्य के लिए हर परिस्थितियों में संघर्ष करके काम को पूरा किया जाता है।

भारत के पहले श्रमिक कौन थे

आपकी जानकारी के लिए बता दें, भारत के पहले श्रमिक का नाम एन एम लोखंडे है। उन्होंने अपने काम की शुरुआत रेलवे और डाक विभाग से की थी। उनका जन्म 1848 में हुआ था और वे ठाणे के रहने वाले थे।

भारत का पहला श्रमिक विरोध कब हुआ था

जानकारी के मुताबिक, भारत का पहला श्रमिक विरोध सन् 1875 में हुआ था। यह विरोध मुंबई में किया गया था। वहीं प्रचीन श्रम संगठन की बात की जाए तो 1918 में मद्रास मजदूर संघ का संगठन बना था।

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