संपादकीय: कैश कांड को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच क्लेश
Clash between ruling party and opposition over cash scandal: ससंद के शीतकालीन सत्र में वैसे ही हंगामों के कारण काम कर पा रहा है उपर से अब राज्यसभा में कैश कांड को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच क्लेश शुरू हो गया है। राज्यसभा सदस्य अभिषेक मनु सिंघवी की सीट के पास पांच पांच सौ नोटों की एक गड्डी मिलने की सनसनीखेज घटना से नया बखेड़ा खड़ा हो गया है। इसे लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है।
राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने राज्यसभा में मिली नोटों की गड्डी के मामले की जांच कराने के आदेश दे दिये है। गौरतलब है कि अभिषेक मनु सिंघवी ने इन नोटों की गड्डी को लेकर अनभिज्ञयता जाहिर की है उनका कहना है कि वे संसद में कभी भी पांच सौ रूपये से ज्यादा की रकम लेकर नहीं आते हैं। घटना के दिन तो वे राज्यसभा में मुश्किल से पंद्रह मिनट ही बैठे थे और फिर लंच के लिए संसद की कैंटीन में चले गये थे। और वही से वे सुप्रीम कोर्ट के लिए निकल गये थे।
अपनी सीट के पास पचास हजार रूपये कैश मिलने की घटना से वे खुद हैरान है कि यह नोटों की गड्डी वहां कैसे आई। उल्लेखनीय है कि यह संसद भवन की सुरक्षा से भी जुड़ा मामला है। जिस व्यक्ति ने वहां नोटों की गड्डी रखी है वह वहां पर कोई घातक वस्तु भी रख सकता है।
संसद भवन में कैश या व्यक्तिगत समान लाने के लिए सख्त दिशा निर्देश है। यद्यपि सांसदों के लिए कैश लाने पर पूर्ण रूप से कोई प्रतिबंध नहीं है लेकिन संसद भवन के भीतर बड़ी मात्रा में कैश दिखाने या उसे इस्तेमाल करने पर कड़ाईपूर्वक रोक लगा दी गई है। 2008 के नोट के बदले वोट मामले के बाद से यह नियम कड़ाईपूर्वक लागू किया गया है।
ऐसे में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि राज्यसभा में कार्यवाही के दौरान पचास हजार रूपये की गड्डी वहां किसने लाई और उसे सांसद अभिषेक मनु सिंघवी की सीट के पास किसने रखा। निश्चित रूप से यह संसद की सुरक्षा से जुड़ा अतिसंवेदनशील मामला है। जिसकी उच्चस्तरीय जांच कराई जा रही है।
जांच के बाद ही इस रहस्य से पर्दा हटेगा। इस कैश कांड के बाद अब संसद की सुरक्षा को मद्देनजर रखकर और ज्यादा एहतियात बरतने की आवश्यकता है और इस बारे में संसद ने जो दिशा निर्देश जारी किये हुए है। उसका और कड़ाईपूर्वक पालन सुनिश्चित किया जाना चाहिए ताकि भविष्य में कोई अप्रिय घटना न घट पाये।