संपादकीय: छत्तीसगढ़ में खेल से वंचित होता बचपन

Editorial: छत्तीसगढ़ में बच्चों के खेलने के लिए मैदान उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। स्कूलों में भी बच्चों के लिए जो मैदान छोड़े गये थे उनका भी अब व्यवसायिक उपयोग होने लगा है और गांव कस्बों में तो खेल के मैदान बेजा कब्जों की भेंट चढऩे लगे हैं। ऐसे में खेल से बचपन वंचित हो रहा है। इस बारे में छत्तीसगढ़ राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने प्रदेश के सभी जिला कलेक्टरों और नगरीय निकायों के मुख्य नगरपालिका अधिकारियों को एक परिपत्र जारी करके बच्चों के खेलने के लिए मैदान सुरक्षित रखने का आग्रह किया है।
इस पत्र में कहा गया है कि नगरीय क्षेत्रों में खुले मैदानों का व्यवसायिक उपयोग करने की वजह से बच्चों के लिए खेल की सुविधायें सीमित होती जा रही है। जिसकी वजह से खेल प्रतिभावों को प्रोत्साहन नहीं मिल रहा है। आयोग ने आवासी कॉलोनियों में भी बच्चों के खेल के लिए मैदान सुरक्षित करना अनिवार्य करने उचित पहल का शासन से अनुरोध किया है।
जिन खेल मैदानों में अतिक्रमण हो गया है उसे भी जल्द से जल्द बेजा कब्जे से मुक्त कराने के लिए कड़ी कार्यवाही की अनुसंशा की है। आयोग की यह पहल निश्चित रूप से सराहनीय है। राज्य सरकार को इस पर गंभीरतापूर्वक विचार करके तत्काल कारगर कदम उठाना चाहिए ताकि मासूम बचपन खेल से वंचित न रहे और प्रदेश में खेल प्रतिभाओं को आगे बढऩे का अवसर मिल सके।