सीएम बघेल ने दिया वायु प्रदूषण दूर करने का मंत्र, बस मान ले केंद्र
- कहा- मनरेगा का नियोजन पराली से जैविक खाद बनाने के लिए किया जाए
- केंद्र दे इस संबंध में निर्देश, प्रदूषण भी दूर होगा, भारी मात्रा में मिलेगा जैविक खाद
रायपुर/नवप्रदेश। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (chief minister bhupesh baghel) ने कहा कि यदि मनरेगा (manrega) योजना का नियोजन पराली (पैरा) (parali) और ठूंठ को जैविक खाद (organic compost) में बदलने के लिए किया जाना चाहिए। इससे दिल्ली व उससे सटे इलाकों मेंं प्रदूषण (pollution) की समस्या से आसानी से निपटा जा सकता है। मुख्यमंत्री के दिए इस सुझाव को अब केंद्र द्वारा मान लेने की दरकार है।
केंद्र सरकार (central government) इस संबंध में निर्देश दे तो न केवल प्रदूषण की समस्या हल होगी, बल्कि किसान को जैविक खाद (organic compost) भी उपलब्ध होगा। पराली जलाने (parali burning) से भूमि की उर्वरता को होने वाले नुकसान से भी बचा जा सकेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जनभागीदारी से छत्तीसगढ़ में इस काम की शुरुआत हो चुकी है। बघेल ने कहा कि एक ओर किसान अपना महत्वपूर्ण जैव घटक जिसका जैविक खाद बनाने में उपयोग होना चाहिए, को आर्थिक संकट की वजह से जला कर नष्ट कर रहे हैं, वहीं दिल्ली की जनता स्वास्थ्य संकट झेल रही है।
छत्तीसगढ़ की गौठान परंपरा का दिया उदाहरण
मुख्यमंत्री (chief minister bhupesh baghel) ने कहा कि हमने छत्तीसगढ़ में 2000 गांवों में गौठान बनाए हैं, जहां जन-भागीदारी से परालीदान (पैरादान) कार्यक्रम जारी है। सरकार उसे गौठान तक लाने की व्यवस्था कर रही है और ग्रामीण युवा उद्यमी उसे खाद में बदल रहे हैं। ये पराली समस्या का एक सम्पूर्ण हल है। कृषि एक आवर्तनशील प्रक्रिया है, उसके हर उत्पाद वापिस खेतों में जाएंगे, किसी न किसी स्वरूप में, तभी खेती बचेगी, मनुष्य स्वस्थ होगा। इसमें मनरेगा और गौठान परंपरा एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
पराली से खाद पर ऐसे समझें सीएम का गणित व कृषि विज्ञान
- मुख्यमंत्री ने कहा कि सितम्बर-अक्टूबर माह में हर साल पंजाब एवं हरियाणा राज्य को मिला दे तो लगभग 35 मिलियन टन पराली या पैरा को जलाया जाता है।
- यदि मनरेगा (manrega) के नियोजन से पराली और ठूंठ को जैविक खाद में बदलने के लिए केन्द्र सरकार (central government) निर्देश दे तो न केवल भारी मात्रा में खाद बनेगा।
- 100 किलोग्राम पराली से लगभग 60 किलोग्राम शुद्ध जैविक खाद बन सकता है। यानी 35 मिलियन टन पराली से लगभग 21 मिलियन टन यानी 2 करोड़ 10 लाख टन जैविक खाद बन सकता है।
- इससे उर्वरकता खोती पंजाब की भूमि का न केवल उन्नयन होगा, बल्कि वहां भयानक रूप से बढ़ते कैंसर का प्रकोप भी कम होगा और दिल्ली का स्वास्थ्य भी ठीक होगा।
पराली जलाने से 46 फीसदी तक बढ़ता है दिल्ली का वायु प्रदूषण
एक सर्वे के अनुसार सितम्बर-अक्टूबर माह में जलाई गई पराली से दिल्ली में 42 से 46 प्रतिशत तक वायु प्रदूषण (air pollution) में वृद्धि होती है। और इससे दमा, कफ और अन्य बीमारियों का प्रतिशत 50 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। ये निश्चय ही खतरनाक स्थिति है।