Lockdown: पीएम को सीएम बघेल ने बताया छग में ये काम चालू रखना जरूरी, मांगा…
रायपुर/नवप्रदेश। लॉकडाउन (lockdown) को लेकर शनिवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (pm modi) के साथ हुई मुख्यमंत्रियों की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (cm baghel) ने छत्तीसगढ़ को लेकर महत्वपूर्ण सुझाव (suggestions) दिए। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (cm baghel) ने प्रधानमंत्री मोदी (pm modi) से आग्रह किया है कि लॉकडाउन (lockdown) की स्थिति में राज्यों के अंदर कुछ आवश्यक आर्थिक गतिविधियां चलाने की अनुमति मिलनी चाहिए।
उन्होंने सुझाव (suggestions) दिया कि कहा कि राज्य के विभिन्न जिलों में कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या और उनकी स्थिति को देखते हुए यह निर्णय लिया जाना उचित होगा कि लॉकडाउन (lockdown) में कुछ आवश्यक आर्थिक गतिविधियों में छूट दी जाए अथवा नहीं। यह निर्णय लिए जाने का अधिकार राज्यों को दिया जाना उचित होगा।
बघेल ने शनिवार को प्रधानमंत्री द्वारा कोरोना वायरस संक्रमण की स्थिति की समीक्षा के लिए सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों की ली गयी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में उपरोक्त सुझाव दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान परिस्थिति को देखते हुए निश्चित रूप से आर्थिक संकट का सामना करना पड़ेगा, जिसके लिए अभी से राज्य के हालातों के अनुरूप कार्य योजना बनानी पड़ेगी, ताकि भयंकर आथिक संकट से अपने प्रदेश को उबारा जा सके।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में यह भी रहे मौजूद
इस अवसर पर स्वास्थ्य मंत्री टी.एस. सिंहदेव, गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू, अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू, सचिव स्वास्थ्य निहारिका बारिक सिंह, खाद्य सचिव कमलप्रीत सिंह उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री ने केंद्र केे समक्ष रखीं ये मांगें और सुझाव
- मुख्यमंत्री ने संकट के समय एमएसएमई सेक्टर को बचाने के लिए केन्द्र सरकार से आर्थिक पैकेज की मांग की।कहा कि राज्य में एमएसएमई सेक्टर द्वारा लगातार आर्थिक पैकेज की मांग की जा रही है।
- लॉकडाउन (lockdown) की लंबी अवधि के कारण लोगों को सर्वाधिक रोजगार उपलब्ध कराने वाले इस महत्वपूर्ण सेक्टर का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है।
- कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए अधिक से अधिक सैम्पल लिए जाने और वर्तमान में कोरोना संकट को देखते हुए अंतर्राज्यीय सड़क, वायु, रेल सुविधाओं पर प्रतिबंध जारी रखने का सुझाव दिया।
- मुख्यमंत्री ने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा परीक्षण किट की खरीदी के लिए तय की गई गाइडलाइन में स्पष्ट दिशा निर्देश दिया जाना जरूरी है।
- पीपीई किट की संख्या में वृद्धि और परीक्षण की सुविधा भी बढ़ाया जाना चाहिए।केन्द्रीय विश्वविद्यालय की परीक्षाएं स्थगित रखी जाए या इन्हें ऑन लाइन लिया जाए।
छत्तीसगढ़ को लेकर दी ये जानकारी
स्थिति तुलनात्मक रूप से बेहतर
मुख्यमंत्री ने बताया कि छत्तीसगढ़ राज्य देश के सर्वप्रथम राज्यों में शामिल है, जहां 21 मार्च 2020 को लॉकडाउन लागू किया गया। सोशल डिस्टेंसिंग का कड़ाई से पालन होने और पूर्ण लॉक डाउन के कारण यहां कोविड-19 के संक्रमण की स्थिति तुलनात्मक रूप से बेहतर है। राज्य में कोरोना संक्रमण के कुल 18 व्यक्ति संक्रमित पाए गए हैं। इनमें अब तक 10 स्वस्थ्य हो चुके हैं। शेष 8 मरीजों की हालत सामान्य है।
राज्य में किसी की नहीं हुई मौत
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में अब तक किसी भी व्यक्ति की कोरोना वायरस संक्रमण से मृत्यु नहीं हुई है। उन्होंने बताया कि राज्य के 28 जिलों में केवल 5 जिलों से ही कोरोना संक्रमण के मरीज पाए गए हैं शेष 23 जिलों में संक्रमित व्यक्ति नहीं मिलेे हैं।
कम लिए जा रहे सैंपल
प्रदेश में अब तक 3,473 सैंम्पल लिए गए हैं। प्रतिदिन औसत 133 सेम्पल लिए जा रहे हैं। जो अत्यंत कम हैं। कम परीक्षण होने के कारण यह निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता कि वास्तव में कोविड-19 वायरस की स्थिति नियंत्रण में है अथवा नहीं। प्रतिदिन 3 से 5 हजार सैम्पल लेने की आवश्यकता है। इस संबंध में पूर्व में भी अनुरोध किया गया है।
फंसे लोगों को लेकर दिशा-निर्देश की अपेक्षा
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य की सीमा में हजारों लोग फंसे हैं। उन्हें अभी राज्य की सीमा के बाहर ही क्वारंटाइन करके रखा गया है। लेकिन इन लोगों को काफी परेशानी हो रही है। इनमें कई यात्री और परिवार के लोग भी हैं जो अपने घरों में जाना चाहते हैं। इस संबंध में दिशा-निर्देश की अपेक्षा है।
दो माह का राशन दिया नि:शुल्क
मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य में 56 लाख परिवारों में से 47 लाख गरीब परिवारों को दो माह का एक मुश्त राशन नि:शुल्क दिया गया है इसके अलावा, शक्कर, नमक का वितरण किया गया है।
वनोपज की खरदी-बिक्री बंद
उन्होंने बताया कि राज्य में बाजार बंद है जिससे वनोपज की खरीदी-बिक्री नहीं हो पा रही है। अनुसूचित क्षेत्रों में लघुवनोपज महुआ, इमली के संग्रहण और खरीदी का कार्य वन समितियों के माध्यम से चल रहा है। इस प्रकार की गतिविधियों के संचालन के लिए राज्यों को अनुमति मिलनी चाहिए।