धनधान्य नहीं आचार-व्यवहार से बड़ा होता है इंसान : राज्यपाल उइके

governor uikey accepting badges from cadets
राजभवन में भारत स्काउट्स एवं गाइड्स के स्थापना दिवस के अवसर पर कैडेट्स को किया संबोधित
रायपुर/नवप्रदेश। राज्यपाल अनुसुईया उइके (governor anusuiya uikey) ने कहा कि कोई भी इंसान धनधान्य से बड़ा नहीं होता बल्कि वह आचार-व्यवहार (conduct) से बड़ा होता है और अपने कर्म से ही उसकी पहचान बनती है।
आचार-व्यवहार (conduct) से बनी पहचान से ही उसे ही समाज में हमेशा याद किया जाता है। यह बात राज्यपाल उइके (governor anusuiya uikey) ने गुरुवार को यहां राजभवन में भारत स्काउट्स एवं गाइड्स (scouts and guides) के स्थापना दिवस के अवसर पर कैडेट्स को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने उपस्थित पदाधिकारी एवं सभी कैडेट्स को बधाई एवं शुभकामनाएं दी।
कैडेट्स ने राज्यपाल को मनोनित किया अपना संरक्षक

राज्यपाल को कैडेट्स ने स्थापना दिवस का स्टीकर लगाया और उन्हें बैच लगाकर अपना संरक्षक मनोनित किया। राज्यपाल ने कहा कि यह बहुत अच्छी बात है कि यहां के कैडेट्स ने राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त किया है, जिसके लिए वे बधाई के पात्र है। मैं कामना करती हूं कि वे सदैव इसी तरह तरक्की करते रहें।
अपने जीवन के अनुभव भी सुनाए महामहिम ने
-उइके ने कहा कि स्काउट्स-गाईड्स (scouts and guides), एन.एस.एस. जैसे कार्यों में वे लोग ही आते हैं जिनके मन में स्वयंसेवक के रूप में समाज सेवा करने की भावना होती है और वही व्यक्ति राष्ट्र निर्माण में भागीदारी निभाता है। मैं जब विधायक थी, तो मैंने स्काउट्स एवं गाईड्स के उपाध्यक्ष के पद का दायित्व संभाला था तब मुझे भी इस बात का अहसास हुआ। उन्होंने कहा कि स्काउट्स और गाईड्स में हमें छोटे-बड़े का भेदभाव मिटाने की सीख मिलती है। यही भावना युवाओं को जीवन में कुछ करने की प्रेरणा देती है और राष्ट्र के प्रति समर्पण की भावना जागृत करती है।
-राज्यपाल ने अपने पुराने अनुभव बताते हुए कहा कि जब मैं कॉलेज में शिक्षक के तौर पर नियुक्त हुई तो विद्यार्थियों को साफ-सफाई करने को कहा। पहले वे तैयार नहीं हुए, तो मैं स्वयं साफ-सफाई करने में लग गई। इससे विद्यार्थी प्रेरित हुए और मेरे साथ परिसर में साफ-सफाई करने लगे।