Lockdown में भी छत्तीसगढ़ के आदिवासियों के लिए संजीवनी बना लघु वनोपज
-महिला समूहों द्वारा 21 दिनों के लॉकडाउन की संकट की घड़ी में भी 15 करोड़ के वनोपज का संग्रहण
रायपुर। कोरोना वायरस (corona virus) के संक्रमण (infection) और इस विश्व व्यापी महामारी से उत्पन्न संकट के समय (times of crisis) मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (CM Bhupesh Baghel) के सुशासन और कुशल प्रबंधन, समन्वय की ठोस नीति के कारण राज्य सरकार द्वारा प्रदेश में वनोपजों (state government Forest Produce) का संग्रहण एवं प्रसंस्करण वनवासियों के लिए संजीवनी साबित हो रहा है।
राज्य में लगभग 2 हजार करोड़ रूपये का वनोपज का उत्पादन होता है, जिसमें लगभग 900 करोड़ रूपये का तेंदूपत्ता एवं 11 सौ करोड़ रूपये के अन्य लघु वनोपज जैसे-इमली, महुआ, चिरौंजी, लाख आदि का उत्पादन होता है।
सौ करोड़ रूपये का पारिश्रमिक का होगा वितरण
प्रदेश में 12 लाख परिवारों द्वारा लगभग 15 लाख मानक बोरा तेंदूपत्ता का संग्रहण एवं भंडारण अगले दो माह में किया जायेगा। संग्राहकों को 4 हजार रूपये प्रति मानक बोरा के हिसाब से 6 सौ करोड़ रूपये का पारिश्रमिक वितरण किया जायेगा। सरकार ने वनवासियों के हितों के लिए विगत वर्ष से 2 हजार 500 रूपये प्रति मानक बोरा से बढ़ाकर 4 हजार रूपये प्रति मानक बोरा का दर निर्धारित किया है, जिससे प्रतिवर्ष रूपये 225 करोड़ अतिरिक्त पारिश्रमिक का वितरण हो रहा है।
छत्तीसगढ़ को तेंदूपत्ता व्यापार से 238 करोड़ का लाभ
जबकि छत्तीसगढ़ राज्य से लगे हुए झारखण्ड में 12 सौ 10 रूपये, 15 सौ रूपये तेलंगाना, 15 सौ रूपये महाराष्ट्र, 25 सौ रूपये उड़ीसा तथा 25 सौ रूपये मध्यप्रदेश में तेंदूपत्ता की दर निर्धारित है। इसके अतिरिक्त छत्तीसगढ़ राज्य में तेंदूपत्ता व्यापार से 238 करोड़ रूपये का लाभ प्राप्त हुआ जो लगभग 10 लाख परिवारों को वितरित किया जायेगा। इस प्रकार केवल तेंदूपत्ता व्यापार से ही लगभग 850 करोड़ रूपये का वितरण 30 जून तक किये जाने की योजना है।
व्यापार केवल निजी हाथों में
राज्य में अराष्ट्रीयकृत लघु वनोपज का व्यापार लगभग रूपये 11 सौ करोड़ का होता है। अब तक यह व्यापार केवल निजी हाथों में था। वनवासियों को वनोपज का सही दाम प्राप्त नहीं हो रहा था। राज्य शासन ने समर्थन मूल्य में खरीदी की योजना को सुदृढ़ किया है। सरकार ने पूर्व में खरीदे जा रहे केवल 7 वनोपज को बढ़ाकर 23 वनोपज कर दिया।
महिला स्व सहायता समूह कर रही है खरीदी
ग्राम एवं हाट बाजार स्तर पर कोई खरीदी की व्यवस्था नहीं थी। 3 हजार 500 गांवों एवं 866 हाट बाजारों में एनआरएलएम के तहत् गठित महिला स्व सहायता समूहों द्वारा वनोपज क्रय करने की व्यवस्था स्थापित की गयी है। 5 हजार 500 महिला स्व सहायता समूह में लगभग 5 हजार 5 सौ महिलाएं लघु वनोपज के क्रय एवं प्राथमिक प्रसंस्करण के कार्य में जुटे हुए हैं।
लॉकडाउन में 15 करोड़ की वनोपज खरीदी
कोविड-19 महामारी के 21 दिनों के लाकडाउन में ही इन समूहों ने लगभग रूपये 15 करोड़ राशि के 50 हजार क्विंटल वनोपज की खरीदी की है जिसमें लाखों वनवासियों को लाभ मिल रहा है। वर्ष 2020 में समूह के माध्यम से 100 करोड़ रूपये का वनोपज क्रय करने का लक्ष्य रखा है। समूहों के ग्राम स्तर एवं हाट बाजार स्तर पर मौजूदगी से ही व्यापारियों को न्यूनतम समर्थन मूल्य से अधिक मूल्य देना पड़ रहा है, जिससे अन्य लघु वनोपज से ही 200-250 करोड़ रूपये राशि अतिरिक्त संग्राहकों को प्राप्त होगा। संग्रहित वनोपज से राज्य में हर्बल एवं अन्य उत्पाद भी तैयार किए जा रहे है। पूर्व में इसकी बिक्री केवल संजीवनी केन्द्र से होती थी, अब इनकी सीजी हाट के माध्यम से ऑनलाईन भी विक्रय करने की व्यवस्था की जा रही है।
राज्य शासन ने यह भी निर्णय लिया है कि तेंदूपत्ता व्यापार की तरह अन्य लघु वनोपज के व्यापार से लाभ प्राप्त होने की स्थिति में प्रोत्साहन राशि संग्राहकों को वितरण किया जायेगा। कोविड-19 महामारी को देखते हुए वनोपज संग्रहण में पर्याप्त सावधानी बरतने के निर्देश दिए गये हैं। सोशियल डिस्टेसिंग, मास्क लगाना एवं समय-समय पर हाथ धोने के व्यवस्था भी की गई है।
8 हजार स्व सहायता समूह की महिलाओं के माध्यम से 50 लाख मास्क निर्मित किए जा रहे हैं जो वनोपज संग्राहकों को वितरित किए जाएंगे। 8 हजार महिलाओं को 15 दिनों में रूपये 2 हजार प्रति महिला अतिरिक्त आय भी होगी। इस प्रकार राज्य में 30 जून तक लघु वनोपज के संग्रहण, प्रसंस्करण एवं प्रोत्साहन राशि के माध्यम से लगभग 9 सौ करोड़ रूपये का लाभ 12 लाख वनवासियों को प्राप्त होगा।