Chhattisgarh Youth In Haridwar : छत्तीसगढ़ के 700 युवा पहुंचे हरिद्वार…गंगा तट पर मांगी राज्य के उज्जवल भविष्य की दुआ…

हरिद्वार, 11 जून| Chhattisgarh Youth In Haridwar : छत्तीसगढ़ से निकले एक अद्वितीय सामाजिक चेतना की लहर इन दिनों हरिद्वार की पवित्र धरती पर महसूस की जा रही है। रायपुर, कोरबा, दुर्ग, बलौदाबाजार, राजनांदगांव जैसे जिलों से आए 700 से अधिक युवा इस समय गायत्री तीर्थ शांतिकुंज में तीन दिवसीय चिंतन शिविर में भाग ले रहे हैं।
ये युवा केवल यात्री नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ के नैतिक पुनर्जागरण के वाहक हैं – जो बाल संस्कार, व्यसनमुक्ति, पर्यावरण जागरूकता जैसे अभियानों से जुड़े (Chhattisgarh Youth In Haridwar)हैं। इनमें छात्र, व्यवसायी, शिक्षक, युवा अधिकारी और सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हैं, जिनकी दृष्टि अपने प्रदेश को समृद्ध और संस्कारित बनाने पर केंद्रित है।
गंगा तट पर प्रार्थना : “छत्तीसगढ़ हो शांत, समृद्ध और नैतिक”
शिविर के पहले दिन युवाओं की टोली ने हर की पौड़ी के समीप गंगा तट पर एक दिव्य दृश्य रच दिया। दीप जलाकर उन्होंने सामूहिक प्रार्थना की — छत्तीसगढ़ के नैतिक, सांस्कृतिक और आर्थिक उत्थान के (Chhattisgarh Youth In Haridwar)लिए। उनके संकल्प और श्रद्धा ने वहां उपस्थित हर व्यक्ति को गहराई से प्रभावित किया।
युवा बनेंगे बदलाव के वाहक
शिविर के पहले सत्र में देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पण्ड्या ने युवाओं से संवाद किया। उन्होंने नैतिकता, आत्मविकास और नेतृत्व जैसे विषयों पर मार्गदर्शन दिया। शांतिकुंज व्यवस्थापक योगेन्द्र गिरि, युवा प्रकोष्ठ समन्वयक केदार प्रसाद दुबे और राज्य समन्वयक ओमप्रकाश राठौर ने भी युवाओं के विचारों को दिशा दी।
इन युवाओं ने छत्तीसगढ़ को व्यसनमुक्त और पर्यावरण-संवेदनशील राज्य बनाने का संकल्प लिया (Chhattisgarh Youth In Haridwar)है। वे अपने जिलों में बाल संस्कार शालाएं संचालित कर अगली पीढ़ियों में संस्कार और सद्गुणों का बीजारोपण करेंगे।
चिंतन शिविर का उद्देश्य: प्रेरणा नहीं, दिशा देना
तीन दिवसीय शिविर में आत्मविकास, समाजसेवा, नेतृत्व कौशल और राष्ट्र निर्माण जैसे विषयों पर विशेष सत्र रखे गए हैं। आयोजकों का मानना है कि युवाओं को केवल मोटिवेशन की नहीं, ठोस दिशा की आवश्यकता है – जिससे वे केवल विचार नहीं, कर्म में उतरें और समाज के लिए परिणाम दें।