यदि आज डॉ. महंत की बात मान जाते माननीय तो राज्य विस फिर पेश करती नजीर |

यदि आज डॉ. महंत की बात मान जाते माननीय तो राज्य विस फिर पेश करती नजीर

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कांग्रेस और छजकां ने सुझाव को सराहा और दे दी थी सहमति
 प्रमुख विपक्षी दल भाजपा ने सवालों के स्वरूप में कटौती को नकारा

रायपुर/नवप्रदेश। छत्तीसगढ़ (chhattisgarh vidhansabha) विधानसभा ने भारत के राज्यों की विधानसभा में कई नजीर पेश की है। सराहनीय यह कि इनमें से दो आदर्शों के लिए देशभर में छत्तीसगढ़ (chhattisgarh vidhansbaha) विधानसभा जाना जाता है। पहला गर्भगृह में प्रवेश करने पर विधायकों का स्वमेव निलंबन और दूसरा महात्मा गांधी के नाम पर विधानसभा का विशेष सत्र आहुत करने के नाम पर।

आज गुरुवार को बजट सत्र (cg assembly budget session) के दौरान प्रश्नोत्तर काल में भी सदन की कार्यवाही को पूरे आदर्शों का पालन करते हुए संचालित कर रहे विधानसभा (cg vidhansabha could have set one more example)  अध्यक्ष चरणदास महंत (speaker dr charandas mahant)  ने एक ऐसी ही सलाह व सुझाव दिया।

अगर विपक्षी दल भाजपा के सदस्य उसे स्वीकार लेते तो राज्य विधानसभा (cg vidhansbha could have set one more example) एक और आदर्श पेश करने में कामयाब होती।

विधानसभा अध्यक्ष महंत का मूल उद्देश्य भी यही था कि इस सलाह पर अमल अगर सदस्य करते तो छत्तीसगढ़ राज्य का लाखों रुपए ही नहीं बचता बल्कि सदन और सरकार का वक्त भी बचता जिसका सदुपयोग अन्य विकास कार्यों पर किया जा सकता था। परंतु संसदीय अधिकारों, विधायकों के सवालों के स्वरूपों पर कटौती को अस्वीकार करने व सुझाव पर खासी आपत्ति दर्ज करवाने की वजह से यह नजीर बनने से पहले ही बिखर गया।

महंत ने कहा था 1 सवाल पूछने पर आता है 10 लाख खर्च

विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान विधायकों द्वारा एक सवाल पूछने पर 10 लाख रुपयों का खर्च आता है। इसकी जानकारी सदन में विधायकों को विधानसभा अध्यक्ष डॉ. महंत ने दी। आसंदी ने सवालों के स्वरूप को लेकर चिंता जताई और विधायकों को सुझाव दिया था। विधानसभा अध्यक्ष ने विधायकों को ऐसे सवालों से बचने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि कितने पद खाली हैं और खाली पद कब तक भरे जाएंगे जैसे सवालों में पैसा, वक्त न जाया करें। अध्यक्ष ने हिदायत दी कि विधायकों को ऐसे सवालों से बचना चाहिए।

स्वरूप में कटौती किसी का अधिकार नहीं, आपत्ति दर्ज

अध्यक्ष के इस राज्यहित वाले सुझाव व निर्देश का संसदीय कार्यमंत्री रविन्द्र चौबे और अजित जोगी ने भी समर्थन किया। वहीं भाजपा की ओर से इस तरीके के पाबंदी और सवालों के स्वरूप में कटौती को लेकर आपत्ति की गई। नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक और भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने सवालों के स्वरूप पर कटौती किये जाने पर अपनी आपत्ति दर्ज कराई।

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