Chhattisgarh Tribal Digital Museum : नवा रायपुर में इतिहास को जीवंत करेगा देश का पहला जनजातीय डिजिटल म्यूजियम, राज्योत्सव पर होगा उद्घाटन

Chhattisgarh Tribal Digital Museum

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Chhattisgarh Tribal Digital Museum : छत्तीसगढ़ की धरती पर जनजातीय स्वाभिमान और स्वतंत्रता संग्राम की गाथाओं को सहेजने वाला देश का पहला डिजिटल संग्रहालय (Chhattisgarh Tribal Digital Museum) अब अपने अंतिम चरण में है। नवा रायपुर अटल नगर स्थित आदिवासी अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान परिसर में तैयार यह भव्य स्मारक सह-संग्रहालय राज्योत्सव के अवसर पर जनता को समर्पित किया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसका लोकार्पण करेंगे, जबकि मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने आज स्थल का निरीक्षण कर निर्माण कार्यों और डिजिटलीकरण की स्थिति की समीक्षा की।

राज्य सरकार छत्तीसगढ़ स्थापना के 25 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में इस वर्ष रजत जयंती मना रही है। इसी कड़ी में बन रहा यह शहीद वीर नारायण सिंह आदिवासी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्मारक सह-संग्रहालय (Chhattisgarh Tribal Digital Museum) प्रदेश के गौरवशाली इतिहास और जनजातीय परंपराओं को नई पहचान देगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि संग्रहालय में अत्याधुनिक ऑडियो-वीडियो सिस्टम और विजुअल डिस्प्ले की व्यवस्था होनी चाहिए ताकि आने वाले आगंतुक स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के संघर्ष को महसूस कर सकें।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दूरदर्शी सोच से प्रेरित यह परियोजना जनजातीय समाज के साहस, बलिदान और आत्मसम्मान का प्रतीक बनेगी। उन्होंने कहा कि यह संग्रहालय आने वाली पीढ़ियों को इस बात की प्रेरणा देगा कि विपरीत परिस्थितियों में भी संघर्ष और त्याग की भावना कैसे कायम रहती है। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को राज्योत्सव तक सभी कार्य पूर्ण करने और पर्यटकों की सुविधाओं पार्किंग, गार्डनिंग, सुरक्षा एवं डिजिटल गाइड सिस्टम की व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।

मुख्यमंत्री के साथ निरीक्षण में वन मंत्री केदार कश्यप, मुख्य सचिव विकासशील, प्रमुख सचिव सोनमणि बोरा, कलेक्टर गौरव सिंह, एसएसपी लाल उमेद सिंह, आदिम जाति विकास आयुक्त सारांश मित्तर, जनसंपर्क आयुक्त रवि मित्तल और अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।

वीएफएक्स तकनीक और डिजिटल अनुभव से सजेगा संग्रहालय

यह संग्रहालय (Chhattisgarh Tribal Digital Museum) आधुनिक वीएफएक्स तकनीक और प्रोजेक्शन वर्क से सुसज्जित किया जा रहा है। यहां दर्शक छत्तीसगढ़ के 14 प्रमुख जनजातीय विद्रोहों — हल्बा, सरगुजा, परलकोट, तारापुर, मेरिया, मुरिया, सोनाखान, भूमकाल, लिंगागिरी, कोई, भोपालपट्टनम, रानी चौरिस विद्रोह के साथ जंगल सत्याग्रह और झंडा सत्याग्रह की झलकियां देख सकेंगे। प्रत्येक गैलरी में मूर्तियों के साथ डिजिटल बोर्ड और क्यूआर कोड लगाए जा रहे हैं, जिन्हें स्कैन कर आगंतुक तुरंत विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकेंगे।

यह संग्रहालय प्रदेश का पहला ऐसा संस्थान होगा जो इतिहास, संस्कृति और तकनीक को जोड़कर जनजातीय अस्मिता को जीवंत रूप देगा। इसका उद्देश्य केवल स्मृति संजोना नहीं, बल्कि युवा पीढ़ी को अपने पुरखों के अदम्य साहस से जोड़ना है। यह परियोजना देश के अन्य राज्यों के लिए भी एक मिसाल बनेगी।

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