Chhattisgarh Teachers Rationalisation Case : शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण पर विवाद गहराया…मामला पहुंचा हाई कोर्ट…

Chhattisgarh Teachers Rationalisation Case : शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण पर विवाद गहराया…मामला पहुंचा हाई कोर्ट…

बिलासपुर, 4 जून| Chhattisgarh Teachers Rationalisation Case : छत्तीसगढ़ में स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा किए जा रहे शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण (Rationalization of Teachers) को लेकर उठी असंतोष की लहर अब छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट तक पहुंच चुकी है।

छत्तीसगढ़ विद्यालयीन कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष संजय कुमार तिवारी सहित 34 शिक्षकों ने रायपुर और दुर्ग जिले के स्कूलों में काउंसलिंग प्रक्रिया में नियमों के उल्लंघन का हवाला देते हुए युक्तियुक्तकरण आदेश को चुनौतीपूर्ण याचिका (Writ Petition) के माध्यम से अदालत में चुनौती दी है।

क्या है युक्तियुक्तकरण विवाद का मूल मुद्दा?

छत्तीसगढ़ सरकार ने पहली बार 2 अगस्त 2024 को युक्तियुक्तकरण संबंधी आदेश जारी किया था, जिसे व्यापक विरोध के कारण रोक दिया गया (Chhattisgarh Teachers Rationalisation Case)था। हालांकि, सरकार ने 25 अप्रैल 2025 को नया आदेश जारी कर प्रक्रिया दोबारा शुरू कर दी।

याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि:

विभिन्न स्कूल स्तरों (प्राइमरी, मिडिल, हायर सेकेंडरी) के मर्जर से प्रधान पाठकों और हेडमास्टर्स के पद समाप्त किए जा रहे हैं।

मर्जर के बाद हेड मास्टर जैसे प्रशासकीय पदों को शिक्षकीय पद में बदलना नियमों के खिलाफ है।

हाई कोर्ट में पूर्व में दायर एक मामले में राज्य शासन ने स्वयं यह तर्क दिया था कि हेड मास्टर का पद “प्रशासकीय” है और शिक्षक के पद में परिवर्तित नहीं हो (Chhattisgarh Teachers Rationalisation Case)सकता।

2019 के भर्ती एवं पदोन्नति नियमों (राजपत्र में प्रकाशित) में संशोधन किए बिना काउंसिलिंग की जा रही है, जो संविधान के अनुच्छेद 309 का उल्लंघन है।

शिक्षकों को अपील का अवसर नहीं दिया गया, जबकि नियमानुसार यह मौलिक अधिकार है।

कलेक्टर की भूमिका पर भी सवाल

याचिका में यह भी उल्लेख है कि काउंसलिंग प्रक्रिया में जिलों के कलेक्टरों को नोडल अधिकारी बनाया गया है, जबकि लेक्चरर और वरिष्ठ शिक्षक वर्ग के मामलों में उनका अधिकार क्षेत्र नहीं बनता।

क्या कहता है शिक्षक संघ?

संघ का कहना है कि यह प्रक्रिया शिक्षकों की प्रतिष्ठा, पदोन्नति और वेतनमान पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रही है। यदि इस पर रोक नहीं लगी तो हजारों शिक्षकों को अयोग्य और कनिष्ठ पदों पर लाकर पदावनति का सामना करना पड़ेगा।

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