Chhattisgarh Teacher Transfer : बीच सत्र में तबादले और प्रतिनियुक्ति का तूफान, प्राचार्य बने प्रभारी डीईओ, व्याख्याता बने बीईओ

Chhattisgarh Teacher Transfer
Chhattisgarh Teacher Transfer : स्कूल शिक्षा विभाग में इस समय “प्रभारवाद” की नई लहर देखने को मिल रही है। महज एक सप्ताह में 21 अलग-अलग आदेशों के जरिए 200 से अधिक शिक्षाकर्मियों का तबादला और प्रतिनियुक्ति कर दी गई। इन आदेशों में सबसे ज्यादा चर्चा उस फैसले की है, जिसमें प्राचार्यों को प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) और प्रधानपाठकों व कनिष्ठ व्याख्याताओं को विकासखंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) बना दिया गया है।
सोमवार को विभाग ने 11 टुकड़ों में तबादले और पदस्थापना के आदेश निकाले। इसमें छह जिलों में प्राचार्यों को डीईओ का जिम्मा सौंपा गया। शिक्षा विभाग (Chhattisgarh Teacher Transfer) के नियम के मुताबिक, डीईओ का पद उपसंचालक स्तर के अधिकारियों को दिया जाना चाहिए, जबकि बीईओ के लिए वरिष्ठ प्राचार्य ही पात्र होते हैं। इसके बावजूद कनिष्ठ व्याख्याताओं और प्रधानपाठकों को यह जिम्मेदारी देना नियमों के खिलाफ माना जा रहा है।
किन जिलों में कौन बने प्रभारी डीईओ
मधुलिका तिवारी – बालोद
प्रमोद ठाकुर – दंतेवाड़ा
एलपी डाहिरे – मुंगेली
अशोक सिन्हा – जांजगीर-चांपा
योगदास साहू – मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी
विनोद राय – कोरिया
कांकेर का मामला चर्चा में
कांकेर जिले में तो मंत्री के आदेश की खुली अवहेलना देखने को मिली। शिक्षा मंत्री (Chhattisgarh Teacher Transfer) ने स्पष्ट कहा था कि लंबे समय से जमे अधिकारियों और कर्मचारियों को हटाया जाए। इसके उलट, कलेक्टर ने व्याख्याता (एलबी वाणिज्य) नवनीत कुमार पटेल को सहायक कार्यक्रम समन्वयक (एपीसी) से सीधे जिला मिशन समन्वयक (डीएमसी) का प्रभार सौंप दिया। उल्लेखनीय है कि पटेल की नियुक्ति 2010 में शासकीय उमावि कोदागांव में हुई थी, लेकिन वे स्कूल जाने के बजाय लगातार 15 वर्षों से समग्र शिक्षा में ही अटैच रहे हैं।
क्यों जारी है यह सिलसिला?
विशेषज्ञों का कहना है कि शिक्षा विभाग में लंबे समय से प्राचार्यों की पदोन्नति उपसंचालक के रूप में नहीं हो पा रही है। इसी वजह से कनिष्ठ अधिकारियों को प्रभारी डीईओ बनाने की परंपरा पिछले कई वर्षों से जारी है। यह स्थिति न केवल नियमों का उल्लंघन है, बल्कि शिक्षा व्यवस्था पर भी प्रतिकूल असर डाल रही है।
वरिष्ठ अधिकारियों का आरोप है कि कनिष्ठ शिक्षक और व्याख्याता, प्रभाव और संसाधनों के दम पर अफसरी कुर्सियां (Chhattisgarh Teacher Transfer) हासिल कर लेते हैं, जिससे योग्य वरिष्ठ अधिकारी हाशिए पर चले जाते हैं। इसका सीधा असर बच्चों की पढ़ाई पर पड़ रहा है, क्योंकि बीच सत्र में तबादले से पढ़ाई प्रभावित होती है और शिक्षण की निरंतरता टूट जाती है।