Chhattisgarh Teacher Seniority Case : एक दर्जन से अधिक शिक्षक एलबी की याचिका पर हाई कोर्ट का अहम फैसला

Chhattisgarh Teacher Seniority Case

Chhattisgarh Teacher Seniority Case

छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने शिक्षक एलबी के अंतरजिला स्थानांतरण और वरिष्ठता विवाद पर एक महत्वपूर्ण फैसला (Chhattisgarh Teacher Seniority Case) देते हुए स्पष्ट कहा है कि केवल किसी अन्य जिले में स्थानांतरण के आधार पर किसी शिक्षक की वरिष्ठता समाप्त नहीं की जा सकती और न ही उसे जूनियर घोषित किया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि ऐसा कोई भी परिपत्र या आदेश संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन होगा।

हाई कोर्ट (Chhattisgarh Teacher Seniority Case) ने याचिकाकर्ता शिक्षकों को ग्रेडेशन सूची में उनकी वास्तविक वरिष्ठता प्रदान करने और प्रधान पाठक पद पर पदोन्नति देने का निर्देश दिया है। साथ ही विभागीय अधिकारियों के रवैये पर नाराजगी जताते हुए कहा है कि वे न्यायालय के आदेशों की अवमानना कर रहे हैं।

दरअसल, स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा 16 मार्च 2021 को जारी ग्रेडेशन सूची में याचिकाकर्ता शिक्षकों को उनके जूनियर्स के नीचे हेड मास्टर (प्राथमिक शाला) के कैडर में दर्शाया गया था। इसके कारण उन्हें हेड मास्टर, प्री-मिडिल स्कूल के पद पर पदोन्नति से वंचित कर दिया गया। इस सूची को चुनौती देते हुए एक दर्जन से अधिक शिक्षक एलबी ने हाई कोर्ट में रिट याचिकाएं दाखिल की थीं।

इन सभी याचिकाओं में राहत की मांग लगभग एक समान थी। न्यायालय ने ओंकार प्रसाद वर्मा एवं अन्य बनाम छत्तीसगढ़ राज्य एवं अन्य को प्रमुख याचिका मानते हुए सभी मामलों के विवादित बिंदुओं पर एक साथ सुनवाई की। याचिकाकर्ता शिक्षकों ने शिक्षक ई कैडर एवं प्रधान पाठक प्राथमिक विद्यालय की वरिष्ठता सूची को नए सिरे से तैयार करने तथा उसके बाद प्रधान पाठक, मिडिल स्कूल के पद पर पदोन्नति देने की मांग की थी।

याचिकाकर्ताओं का कहना था कि उन्हें 10 दिसंबर 2010 को जारी नियुक्ति आदेश के अनुसार, उसी तिथि से प्रधान पाठक, प्राथमिक विद्यालय के पद पर वरिष्ठता दी जानी चाहिए, साथ ही सभी परिणामी लाभ भी प्रदान किए जाएं। शिक्षकों ने बताया कि डीपीआई द्वारा उन्हें 10 दिसंबर 2010 से पहले ही हेड मास्टर, प्राथमिक शाला के पद पर नियुक्त किया गया था।

याचिकाकर्ता शिक्षकों ने अपने व्यक्तिगत अनुरोध पर पारिवारिक और स्वास्थ्य कारणों से अपने प्रारंभिक नियुक्ति जिले बलौदाबाजार-भाटापारा से रायपुर जिले में स्थानांतरण की मांग की थी। स्थानांतरण के बाद सभी शिक्षक अपने-अपने पदों पर विधिवत कार्यरत हो गए। उल्लेखनीय है कि रायपुर और बलौदाबाजार-भाटापारा दोनों जिले रायपुर डिवीजन के अंतर्गत आते हैं और दोनों ही जिलों के पदोन्नति, वरिष्ठता और अन्य सेवा मामलों का निर्धारण एक ही डीपीआई डिवीजन द्वारा किया जाता है।

पदोन्नति से किया गया अयोग्य, वरिष्ठता सूची बदली गई

15 अक्टूबर 2018 को डीपीआई द्वारा वरिष्ठता निर्धारण के लिए दिशा-निर्देश जारी किए गए थे, जिनमें स्पष्ट कहा गया था कि वरिष्ठता के लिए नियुक्ति की प्रारंभिक तिथि को ही आधार माना जाएगा, न कि किसी अन्य जिले में ज्वाइन करने की तिथि को। इसके अनुरूप एक अप्रैल 2020 को जारी पहली अंतर-डिवीजन वरिष्ठता सूची में याचिकाकर्ताओं के नाम वरिष्ठता क्रम में सबसे ऊपर दर्ज किए गए थे।

हालांकि, इस अंतरिम सूची के बाद विभागीय अधिकारियों ने एक नई वरिष्ठता सूची तैयार करनी शुरू कर दी, जिसमें वरिष्ठता की गणना ज्वाइनिंग तिथि से की गई। इसी के चलते याचिकाकर्ता शिक्षकों को पदोन्नति के लिए अयोग्य घोषित कर दिया गया।

हाई कोर्ट (Chhattisgarh Teacher Seniority Case) ने इस पूरी प्रक्रिया को मनमाना और असंवैधानिक करार देते हुए कहा कि अंतरजिला स्थानांतरण वरिष्ठता समाप्त करने का आधार नहीं हो सकता। कोर्ट ने स्पष्ट आदेश दिया है कि याचिकाकर्ताओं को उनकी मूल नियुक्ति तिथि के अनुसार वरिष्ठता प्रदान की जाए और पदोन्नति से वंचित रखने की कार्रवाई समाप्त की जाए।