Exclusive : प्रदेश के मंदिर हुए सेनिटाइज, अब धर्म कर्म साथ-साथ
- धार्मिक स्थालों में प्रवेश से पूर्व, धर्मावलंबियों को पालन करना होगा सेनिटाइजेशन का नियम
- सेनिटाइजर में एल्कोहल के इस्तेमाल को लेकर भक्त सशंकित
नवप्रदेश/रायपुर। सोमवार 8 जून से छत्तीसगढ़ (chhattisgarh) समेत देशभर के सभी धार्मिक स्थलों (religious places open) के दरवाजे भक्तों के लिए खुल जाएंगे। धर्म-कर्म साथ-साथ नजर आएंगे। क्योंकि धर्मावलंबियों को कोरोना से बचाव के लिए धार्मिक स्थलों में प्रवेश से पहले खुद को सेनिटाइज करना होगा। इसके लिए कई जगह सेनिटाइजेशन (sanitization) टनल भी बनाए गए हैं। वहीं कुछ स्थलों को रविवार को सेनिटाइज भी किया गया।
धर्मावलंबियों को मंदिर, मस्जिद, गुरूव्दारा और चर्च में दर्शन-पूजा की छूट मिलेगी। धार्मिक स्थलों (religios places open )पर अपने ईष्ट से मिलने का मौका जहां भक्तों के दिलो-दिमाग में खुशी लेकर आएगा वहीं वे चंद सवालातों में उलझकर सशंकित भी हैं।
वजह साफ है- उन्हें राज्य सरकार के आदेश व नियमों के मुताबिक खुद को सेनिटाइज (sanitization) करने के बाद ही दर्शन-पूजा का मौका मिलेगा। देशभर की तरह प्रदेश (chhattisgarh) में भी मंदिरों, धार्मिक स्थलों में भी आदेशानुसार सेनिटाइजर रखने का निर्देश है। धार्मिक स्थलों की दरो-दीवारों को भी सेनिटाइज करने का नियम है।
ऐसे में भक्त से लेकर पुजारियों में धर्म से लेकर पूजा प्रभावित होने की भी शंका है। वजह साफ है सेनिटाइजर में एल्कोहल होता है। हालांकि संक्रमण के खतरे से सेनेटाइजर ही एकमात्र बचाव है, लेकिन इसमें शराब होने से सभी धर्मों के पालकों के लिए खुशी के साथ पूजा-दर्शन के प्रभावित होने की आशंका का दुख भी है।
गर्भगृह में प्रवेश, प्रतिमा को स्पर्श मना
सोमवार सुबह प्रात: आरती के बाद मां महामाया मंदिर में श्रद्धालु दर्शन कर सकते हैं, सांध्यकालीन आरती से पहले तक भक्तों को प्रवेश दिया जाएगा। मंदिर प्रांगण में सेनिटाइजर, हाथ धोने की व्यवस्था की गई है। भक्तों की सुरक्षा के लिए इसका इस्तेमाल होना है। भक्तगण गर्भगृह से काफी पहले रोक दिए जाएंगे, वे न तो देव प्रतिमा को स्पर्श कर पाएंगे, न ही मंदिर प्रांगण में कोई पूजन.अनुष्ठान के लिए उन्हें छूट दी गई हैए ऐसे में किसी प्रकार से कोई ठेस पहुंचने वाली बात नहीं है। -पंडित मनोज शुक्ला, पुजारी, मां महामाया मंदिर
शराब सेवन और स्पर्श दोनों ही वर्जित है
सेनिटाइजर और धार्मिक स्थलों को सेनिटाइज करना वर्तमान परिस्थितियों में नितांत आवश्यक है। हालाकि हिंदू धर्म में मदिरापान-मांसाहार को बुरा कहा गया है। इसके सेवन के साथ ही स्पर्श करने के बाद पूजा-अर्चना करना वर्जित है। लेकिन उद्देश्य यहां भक्तों की सुरक्षा का है तो इसके इस्तेमाल की अनदेखी करना भी उचित नहीं। वैसे भी देवालयों के गर्भगृह, प्रतिमाओं पर इसका छिड़काव नहीं किया जाएगा। भक्तों के लिए भी नियम है कि वे सेनिटाइज्ड होकर प्रवेश करें तथा मंदिर की घंटी बजाना भी उनके लिए वर्जित रखा गया है। शंका यहां यह है कि बड़े मंदिरों में इसका पालन होगा पर छोटे देवालयों में इसका पालन नहीं होता तो जरूर मन-मस्तिष्क में यह भावनाएं आएंगी ही।
-पं.मुक्तिनारायण पांडेय, ज्योतिषाचार्य एवं पुजारी
क्रमबद्ध रूप से दर्शन के लिए खोला जाएगा मंदिर
मंदिर परिसर में दाखिल होने से पहले भक्तों के लिए एक सेनिटाइजिंग टनल बनाया गया है। टनल से गुजरने के दौरान दर्शनार्थी सैनिटाइज हो जाएंगे। बताया जाता है कि मंदिर को क्रमबद्ध रूप से खोला जाएगा। पहले चरण में सिर्फ मंदिर के पट खोले जाएंगे। सेनेटाइजर में एल्कोहल रहता है और हिंदू धर्म में इसके सेवन-स्पर्श की मनाही है। फिर भी भक्तों की सुरक्षा और धर्म की रक्षा दोनों के लिए व्यवस्था की गई है।
नारायण अग्रवाल, अध्यक्ष, मां बम्लेश्वरी ट्रस्ट डोंगरगढ़
चित्र परिचय : मंदिर खुलने की पूर्व संध्या पर रविवार को मेकाहारा केे समीप स्थित मंदिर को सेनिटाइज करता मंदिर कर्मी। मरही माता मंदिर विकास समिति के अध्यक्ष राजेश रक्सेल ने बताया कि मंदिर में प्रवेश से पूर्व भक्तों के लिए सेनिटाइजर का इस्तेमाल अनिवार्य होगा। मंदिरों की घंटियों को रस्सियां भी बांधी जा रही हैं। कुछ को ढंक भी रहे हैं।