Chhattisgarh Liquor Scam : शराब घोटाले की परतें फिर खुलीं – सौम्या चौरसिया की गिरफ्तारी के बाद स्पेशल कोर्ट में पेशी
Chhattisgarh Liquor Scam
छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले में एक बार फिर जांच की रफ्तार तेज हो गई है। राज्य प्रशासनिक सेवा की निलंबित अधिकारी सौम्या चौरसिया को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गिरफ्तारी के बाद विशेष अदालत में पेश (Chhattisgarh Liquor Scam) किया। ईडी की इस कार्रवाई को घोटाले की जांच में एक अहम मोड़ माना जा रहा है, क्योंकि मामला केवल आर्थिक अनियमितताओं तक सीमित नहीं, बल्कि शासन-प्रशासन की गहराई तक फैले नेटवर्क की ओर इशारा करता है।
सूत्रों के अनुसार, ईडी ने सौम्या चौरसिया को पूछताछ के लिए मंगलवार को तलब किया था। कई घंटों तक चली गहन पूछताछ में सामने आए तथ्यों के आधार पर देर शाम उन्हें औपचारिक रूप से गिरफ्तार किया गया। इसके बाद बुधवार को ईडी की टीम उन्हें स्पेशल कोर्ट लेकर पहुंची, जहां आगे की कानूनी प्रक्रिया पूरी की गई।
पहले भी रह चुकी हैं जेल में
सौम्या चौरसिया इससे पहले कोयला घोटाला मामले में भी मुख्य आरोपियों में गिनी जा चुकी हैं। मई महीने में सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय शर्तों के तहत उन्हें अन्य आरोपियों के साथ अंतरिम राहत (Chhattisgarh Liquor Scam) मिली थी। उस समय अदालत ने स्पष्ट निर्देश दिए थे कि वे छत्तीसगढ़ राज्य से बाहर रहकर ही प्रक्रिया का पालन करेंगी।
कैसे रचा गया शराब घोटाले का पूरा ढांचा
जांच एजेंसियों के अनुसार, वर्ष 2019 से 2023 के बीच लागू की गई शराब नीति में बड़े स्तर पर बदलाव किए गए। नीति की शर्तें इस तरह तैयार की गईं कि चुनिंदा सप्लायर और कंपनियां ही पात्र बन सकें। इन्हीं कंपनियों के माध्यम से नकली होलोग्राम और सील तैयार कराई गई, जिनका इस्तेमाल महंगी शराब की बोतलों पर किया गया।
इन नकली होलोग्राम वाली शराब की बिक्री सरकारी दुकानों के जरिए कराई गई। चूंकि बिक्री का पूरा रिकॉर्ड शासन के सिस्टम में दर्ज नहीं हो पाता था, इसलिए एक्साइज टैक्स की बड़ी राशि सीधे तौर पर शासन को नहीं मिल सकी। जांच में सामने आया है कि इसी प्रक्रिया के जरिए लगभग 2165 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ।
बताया जा रहा है कि यह राशि अलग-अलग स्तरों पर बांटी गई, जिसमें राजनीतिक गतिविधियों से लेकर प्रशासनिक तंत्र के भीतर तक इसका इस्तेमाल (Chhattisgarh Liquor Scam) होने के आरोप हैं। हालांकि, इन सभी बिंदुओं पर अंतिम फैसला अदालत के निर्णय पर ही निर्भर करेगा।
अब तक कौन-कौन आ चुका है जांच के घेरे में
इस मामले में अब तक कई बड़े नामों की गिरफ्तारी हो चुकी है। इनमें पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा, पूर्व मुख्यमंत्री के पुत्र चैतन्य बघेल, पूर्व आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा और कारोबारी अनवर ढेबर शामिल हैं। वहीं, आबकारी विभाग के दर्जनों अधिकारी भी आरोपी बनाए गए थे, जिन्हें बाद में शीर्ष अदालत से जमानत मिल चुकी है।
ईडी की ताजा कार्रवाई के बाद यह साफ है कि शराब घोटाले की जांच अभी खत्म नहीं हुई है। आने वाले दिनों में और भी खुलासे होने की संभावना जताई जा रही है, जिससे छत्तीसगढ़ की राजनीति और प्रशासनिक हलकों में हलचल और तेज हो सकती है।
