Chhattisgarh Liquor Scam : शराब घोटाले पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला…28 आबकारी अधिकारियों को मिली राहत…

Chhattisgarh Liquor Scam
Chhattisgarh Liquor Scam : छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित 3,200 करोड़ रुपये के शराब घोटाले मामले में मंगलवार को एक बड़ा मोड़ सामने आया। सुप्रीम कोर्ट से मिली राहत के बाद राज्य के 28 आबकारी अधिकारियों ने रायपुर स्थित विशेष अदालत में जमानत संबंधी प्रक्रिया पूरी की। सभी अधिकारियों से एक-एक लाख रुपये का जमानत मुचलका भरवाया गया। कोर्ट परिसर में अचानक बड़ी संख्या में अधिकारियों के पहुंचने से माहौल गहमागहमी भरा रहा। मीडिया के कैमरों से बचने के लिए अधिकांश अफसर चेहरे ढकते हुए दिखे।
ईओडब्ल्यू द्वारा दायर चार्जशीट में आरोप है कि यह अधिकारी उस सिंडिकेट का हिस्सा थे, जिसने व्यवस्थित तरीके से अवैध लेन-देन कर करोड़ों रुपये का लाभ पहुंचाया। जांच एजेंसी (Chhattisgarh Liquor Scam) का दावा है कि केवल अधिकारियों को ही करीब 88 करोड़ रुपये का फायदा पहुंचा। यह पूरा मामला उस समय का है जब तत्कालीन सरकार सत्ता में थी और शराब दुकानों के संचालन को लेकर कई अनियमितताएं उजागर हुई थीं।
मामले में पहले ही कई बड़े नाम जांच के घेरे में हैं। पूर्व मुख्यमंत्री का बेटा चैतन्य बघेल, उस समय के आबकारी मंत्री कवासी लखमा, साथ ही वरिष्ठ आईएएस अफसर रहे अनिल टुटेजा और निरंजन दास सहित कुल 12 अफसर अभी भी जेल में हैं। इन सभी पर आरोप है कि इन्होंने सिस्टम को दरकिनार कर समानांतर नेटवर्क खड़ा किया और भारी-भरकम रकम की हेराफेरी की।
ईडी और ईओडब्ल्यू दोनों एजेंसियां इस प्रकरण की अलग-अलग स्तर पर जांच कर रही हैं। पूछताछ और छापामारी की कार्रवाई अब भी जारी है। विशेषज्ञों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट (Chhattisgarh Liquor Scam) से जमानत मिलने के बाद भी इन अधिकारियों के लिए मामला खत्म नहीं हुआ है, क्योंकि आरोप गंभीर हैं और ट्रायल में उनका सामना सबूतों से होगा।
इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर राज्य की सियासत को गर्मा दिया है। विपक्ष लगातार यह सवाल उठा रहा है कि इतनी बड़ी रकम के घोटाले में बिना राजनीतिक संरक्षण के कोई नेटवर्क सक्रिय हो ही नहीं सकता था। वहीं सत्ता पक्ष का कहना है कि जांच पूरी तरह निष्पक्ष होगी और जो भी दोषी होगा उसे सजा से बचाया नहीं जाएगा।