समोसे में लिपटा दिखा "छत्तीसगढ़ जनमन",सरकार की अभिव्यक्ति पर लग रहा है पलीता

समोसे में लिपटा दिखा “छत्तीसगढ़ जनमन”,सरकार की अभिव्यक्ति पर लग रहा है पलीता

"Chhattisgarh Janman" is seen wrapped in samosas, the expression of the government is being destroyed

Chhattisgarh Janman

Chhattisgarh Janman:विभागीय अधिकारीयों की नीरसता उजागर

कवर्धा/नवप्रदेश। छत्तीसगढ़ जनमन (Chhattisgarh Janman) मासिक पत्रिका का महत्त्व आम लोगों के लिए खास है, क्युकी इस पत्रिका में सरकार की योजनाओं का ख़ास उल्लेख किया जाता है ताकि जन-जन तक इसकी जानकारी पहुंचे। लेकिन इसका हश्र देखकर आप भी शर्म से पानी पानी हो जायेंगे।

जनमन मासिक पत्रिका का वितरण तो जानकारी देने के लिए किया जाता है लेकिन अब इसे आप डस्टबिन में यदि देखें तो कैसा लगेगा। ऐसा ही एक नजारा कवर्धा में दिखाई दिया। कवर्धा शहर के एक होटल में जनमन पत्रिका के पेज का उपयोग समोसा बांधने में किया जा रहा है। लोग इसमें समोसा खाकर जनमन के महत्वपूर्ण पन्नों को डस्टबिन में डाल रहे हैं।

दरअसल,छत्तीसगढ़ जनमन (Chhattisgarh Janman) एक मासिक पत्रिका ही नहीं है बल्कि आपकी अभिव्यक्ति का माध्यम भी है। राज्य सरकार की नीतियों, कार्यक्रमों, अभियानों का प्रभाव इतना व्यापक है कि सीमित अमले के साथ इसकी रिपोर्टिंग संभव नहीं है।

कभी तो भीड़ भाड़ में कोई महत्वपूर्ण बदलाव रेखांकित नहीं हो पाता और कहीं दूरदराज में करवट लेते बदलाव तक हम पहुंच नहीं पाते। ऐसे में पढ़ने लिखने में रूची रखने वाले चैतन्य लोग अपनी भाषा में सरकार की किसी भी पहल की रिपोर्ट बनाकर फोटो के साथ उन्हें व्हाट्सएप या ईमेल के माध्यम से भेज सकते हैं। इसके साथ ही प्रकाशित होने वाली रिपोर्ट पर पारिश्रमिक देने का प्रावधान भी है, जिसे लेकर इस पुस्तिका में मेल आईडी व व्हाट्सएप नंबर भी दिया जाता है।

उद्देश्य की पूर्ति पर सवाल

छत्तीसगढ़ सरकार की महत्वपूर्ण जानकारियों को आम लोगों तक पहुंचाने जन मन पुस्तक को एक माध्यम बनाया गया है जिससे सरकार की प्रत्येक योजना अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति तक पहुंच सके। लेकिन दुर्भाग्य का विषय यह है कि जिस विभाग को इस जनमन पत्रिका का वितरण करने के लिए कार्यभार सौंपा गया था,वह अपने दायित्वों का निर्वाह सही ढंग से नहीं कर पा रहे हैं। नतीजा आज जनमन पत्रिका (Chhattisgarh Janman) कहीं कबाड़ की दुकान में, तो कहीं चलित होटल ठेला में समोसा बांधकर आम लोगों को दिया जा रहा है। जिसके बाद जनमन सीधे डस्टबिन दिखाई देता है। इससे साफ़ साबित हो रहा है कि छत्तीसगढ़ सरकार की महत्वपूर्ण पुस्तिका जनमन जिस उद्देश्य से प्रकाशन किया गया था वह सार्थक नहीं हो पा रहा है। इससे विभागीय नीरसता साफ झलक रही है।

डस्टबिन में पड़े जनमन की होनी चाहिए जांच

सरकार अपनी सभी योजनाओं को आम लोगों पहुंचाने की जिम्मेदारी विभाग को सौंपती है, ताकी आम लोगों को सरकार की हर एक कार्य की जानकारी आसानी से मिल सके। लेकिन यहां कुछ उल्टा ही होते नजर आ रहा है। कबीरधाम जिले के कवर्धा ब्लॉक में अब जन मन की पुस्तिका (Chhattisgarh Janman) कबाड़ की दुकान या होटल जैसे जगहों पर उपयोग किया जा रहा है। ऐसी स्थिति में मामले की जांच कर कार्रवाई की जानी चाहिए। इसके साथ ही होटल तथा कबाड़ की दुकान दुकानों में जांच किया जाना चाहिए कि पुस्तक किसके द्वारा इनके पास बेची गई है। फिलहाल मामले की जांच के बाद ही इस घटनाक्रम का सच्चाई सामने आ सकेगा। अब यह मामला जांच का विषय बना हुआ है।

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