Chhattisgarh High Court Pension Verdict : हाईकोर्ट का बड़ा फैसला – बिना वैधानिक सिद्धि के पेंशन रोकी तो होगा मौलिक अधिकारों का हनन…

Chhattisgarh High Court Pension Verdict : हाईकोर्ट का बड़ा फैसला – बिना वैधानिक सिद्धि के पेंशन रोकी तो होगा मौलिक अधिकारों का हनन…

बिलासपुर, 16 मई| Chhattisgarh High Court Pension Verdict : छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने एक ऐतिहासिक फैसले में यह स्पष्ट किया है कि “सिर्फ आरोप या आंतरिक जांच रिपोर्ट के आधार पर किसी सेवानिवृत्त कर्मचारी की पेंशन, ग्रेच्युटी या अवकाश नकदीकरण रोकना सीधे तौर पर संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है।”

यह फैसला रायगढ़ के पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) बरनाबस बखला की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस बीडी गुरु की एकल पीठ ने दिया। याचिकाकर्ता ने अदालत में यह तर्क दिया कि उनके खिलाफ कोई भी आपराधिक या विभागीय कार्रवाई न्यायिक रूप से पूरी नहीं (Chhattisgarh High Court Pension Verdict)हुई, फिर भी विभाग ने रिटायरमेंटल लाभ को अवैध रूप से रोका।

याचिका में यह भी उजागर हुआ कि वर्ष 2017 की एक पुस्तकालय योजना में तकनीकी उन्नयन के लिए मिली धनराशि के उपयोग को लेकर वित्तीय अनियमितताओं का आरोप जांच समिति ने लगाया था। किंतु न तो कोई विधिवत विभागीय कार्रवाई (Chhattisgarh High Court Pension Verdict)हुई और न ही किसी न्यायिक प्राधिकरण ने उन्हें दोषी ठहराया।

हाईकोर्ट ने साफ कहा कि, “रिटायरमेंट के बाद किसी पर जब तक वैधानिक रूप से आरोप सिद्ध न हों, तब तक उसे आर्थिक, सामाजिक या मनोवैज्ञानिक रूप से प्रताड़ित करना नियमों और संवैधानिक अधिकारों का स्पष्ट उल्लंघन (Chhattisgarh High Court Pension Verdict)है।” यह फैसला छत्तीसगढ़ सिविल सेवा पेंशन नियम 1976 के नियम 9(2)(b) और संविधान के अनुच्छेद 21 का एक प्रगतिशील उदाहरण बन गया है — जो रिटायर्ड अधिकारियों के लिए न्यायिक सुरक्षा कवच के रूप में काम करेगा।

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