Chhattisgarh High Court Overturned : सिर्फ व्यवहार से नहीं तय होगा दोष…सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के फैसले को पलटा….

Chhattisgarh High Court Overturned
Chhattisgarh High Court Overturned : भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने छत्तीसगढ़ से जुड़े एक हत्या के मामले में ऐतिहासिक टिप्पणी करते हुए आरोपी को बरी कर दिया है। अदालत ने साफ कहा है कि किसी भी आरोपी के आचरण मात्र से दोषसिद्धि नहीं हो सकती, जब तक कि उसके खिलाफ स्पष्ट, विश्वसनीय और स्वतंत्र साक्ष्य न हों।
क्या है मामला?
यह केस छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के जनवरी 2025 के एक आदेश से जुड़ा है, जिसमें ट्रायल कोर्ट द्वारा हत्या के दोषी ठहराए गए व्यक्ति की सजा को ‘गैर-इरादतन हत्या’ में परिवर्तित कर दिया गया था। आरोपित ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी:
जस्टिस जेबी पार्डीवाला और जस्टिस आर. महादेवन की पीठ ने फैसले में कहा:- “कोई भी व्यक्ति सिर्फ इसलिए दोषी नहीं माना जा सकता कि उसका आचरण संदिग्ध(Chhattisgarh High Court Overturned) लगता है। जब तक मेडिकल, फॉरेंसिक या परिस्थितिजन्य सबूत उसे अपराध से नहीं जोड़ते, वह दोषी नहीं कहा जा सकता।”
मेडिकल साक्ष्य और एफआईआर पर भी सवाल
कोर्ट ने कहा कि:- हाईकोर्ट ने मेडिकल रिपोर्ट और अभियुक्त द्वारा खुद दर्ज कराई गई एफआईआर का सीधा मेल बैठाने की कोशिश की, जो कि कानूनी रूप से गलत है।
विशेषज्ञ गवाहों की राय सलाहकारी होती है, न कि निर्णायक।
आरोपी का आचरण = सिर्फ एक परिस्थिति
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया:- “किसी आरोपी का व्यवहार एक परिस्थिति भर है, न कि संपूर्ण आधार। जब तक उसे अन्य प्रत्यक्ष या परिस्थितिजन्य साक्ष्यों से नहीं जोड़ा जाए, आचरण(Chhattisgarh High Court Overturned) के आधार पर सजा नहीं दी जा सकती।”
क्यों है यह फैसला छत्तीसगढ़ के लिए अहम?
यह निर्णय राज्य की न्याय प्रक्रिया और पुलिस विवेचना के लिए एक मापदंड की तरह है।
फर्जी मुकदमे और कमजोर चार्जशीट्स से न्याय प्रणाली पर जो भार बढ़ता है, उसे रोकने की दिशा में यह फैसला उदाहरण बन सकता है।
यह फैसला बताता है कि सिर्फ संदेह या व्यवहार के आधार पर किसी की आजादी या जीवन से खिलवाड़ नहीं किया जा सकता।