Chhattisgarh High Court Judgment : शराब पीना या कभी-कभी झगड़ा करना ‘क्रूरता’ नहीं, पत्नी की आत्महत्या केस में पति बरी

Chhattisgarh High Court Judgment
Chhattisgarh High Court Judgment : छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला (Chhattisgarh High Court Judgment) सुनाते हुए पत्नी की आत्महत्या के मामले में धमतरी निवासी पवन प्रजापति को सभी आरोपों से बरी कर दिया। न्यायमूर्ति नरेश कुमार चंद्रवंशी की एकलपीठ ने निचली अदालत द्वारा दिसंबर 2021 में सुनाई गई सजा को रद्द करते हुए कहा कि अभियोजन यह साबित नहीं कर सका कि आरोपी ने पत्नी को आत्महत्या के लिए उकसाया या उसके साथ ऐसी क्रूरता की जिससे उसने यह कदम उठाया।
मामला क्या था
घटना वर्ष 2019 (Chhattisgarh High Court Judgment) की है। थाना सिहावा, जिला धमतरी में पवन प्रजापति की पत्नी बसंती बाई की आग लगने से मौत हो गई थी। आरोपी ने स्वयं पुलिस को सूचना दी थी कि उसकी पत्नी जल गई है। जांच में पुलिस ने घटनास्थल से जले कपड़े, मिट्टी तेल की बोतल, माचिस और टायर के टुकड़े जब्त किए थे।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में चिकित्सकों ने बताया कि मृतका के शरीर के महत्वपूर्ण हिस्से 3 से 4 डिग्री तक जले थे और मौत का कारण जलने से हुई दम घुटने (Chhattisgarh High Court Judgment) को बताया गया। मर्ग जांच के बाद पुलिस ने पवन के खिलाफ धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) और धारा 498A (क्रूरता) के तहत मामला दर्ज किया था। ट्रायल कोर्ट ने दिसंबर 2021 में उसे धारा 306 के तहत 5 वर्ष और धारा 498A के तहत 1 वर्ष की सजा सुनाई थी।
बचाव पक्ष की दलील
आरोपित की ओर से अधिवक्ता डी.एन. प्रजापति ने दलील दी कि अभियोजन केवल यह कहता है कि पवन कभी-कभी शराब पीता था और झगड़ा करता था (Chhattisgarh High Court Judgment), लेकिन ऐसा कोई प्रमाण नहीं है कि उसने जानबूझकर पत्नी को आत्महत्या के लिए उकसाया।
उन्होंने कहा कि पत्नी ने कभी पुलिस में शिकायत नहीं की और परिवार के अन्य सदस्यों या बेटियों ने भी घरेलू हिंसा की बात नहीं कही। उन्होंने यह भी बताया कि मृतका का पति अपनी पत्नी की देखभाल करता था और घटना के दिन भी उसने पुलिस को तुरंत सूचना दी थी। राज्य सरकार की ओर से पैनल अधिवक्ता ने कहा कि आरोपी का व्यवहार क्रूर था और उसने पत्नी को मानसिक रूप से प्रताड़ित किया, जिससे उसने आत्महत्या की।
हाई कोर्ट की टिप्पणी
हाई कोर्ट ने सभी गवाहों और मेडिकल रिपोर्ट का विश्लेषण करते हुए कहा कि पत्नी की दोनों बेटियों और भाभी ने साफ कहा कि पति-पत्नी के बीच गंभीर झगड़े नहीं होते थे। मृतका के भाइयों ने यह अवश्य कहा कि पवन कभी-कभी शराब पीकर मारता था, लेकिन उन्होंने न तो समय बताया, न घटना की आवृत्ति।
पड़ोसी या स्थानीय गवाहों को भी पेश नहीं किया गया, जबकि वे सबसे प्रासंगिक साक्षी हो सकते थे। न्यायालय ने कहा – “केवल शराब पीना या कभी-कभी झगड़ा करना क्रूरता या आत्महत्या के लिए उकसाने (Chhattisgarh High Court Judgment) की श्रेणी में नहीं आता।” कोर्ट ने सर्वोच्च न्यायालय के कई पुराने फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि सामान्य घरेलू मतभेदों को आपराधिक क्रूरता नहीं माना जा सकता।
फैसला
अदालत ने कहा कि अभियोजन आरोप सिद्ध करने में असफल रहा है, इसलिए निचली अदालत का निर्णय निरस्त किया जाता है। परिणामस्वरूप, पवन प्रजापति को धारा 306 और 498A दोनों से दोषमुक्त (Chhattisgarh High Court Judgment) किया गया। कोर्ट ने यह भी कहा कि आरोपी फिलहाल जमानत पर है, इसलिए उसे सरेंडर करने की आवश्यकता नहीं है और उसके जमानत बांड छह माह तक प्रभावी रहेंगे।