CG Ganshotsav : छग में जमीन के अंदर से प्रगटे गणेश, पैर अब भी…, दो लोगों को…

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बालोद/नवप्रदेश। छत्तीसगढ़ (chhattisgarh ganeshotsav) ऐसे भगवान गणेश (lord ganesh appear from earth) हैं जो धरती से प्रगट हुए है। बालोद (balod ganesh appear from earth) जिला मुख्यालय के मरारपारा(गणेश वार्ड) में ये मूर्ति है।

छत्तीसगढ़ (chhattisgarh ganeshotsav) के इस चमत्कारी गणेश (lord ganesh appear from earth) के बारे में पुजारी बताते हैं कि ये भगवान गणेश जमीन से प्रगट हुए हैं और जो भी नि:संतान दंपति इस गणेश दरबार में जाकर मन्नत मांगते हैं उन्हेंं संतान सुख प्राप्त होता है। बालोद के इस गणेश दरबार की खासियत है कि यहां सच्चे मन से जिसने जो भी मांगा उसकी मनोकामना पूरी हुई है। यही कारण है कि गणेशोत्सव केअलावा पूरे सालभर बालोद (balod ganesh appear from earth) के गणेश दरबार में भक्तों का तांता लगा रहता है।

जमीन से निकले स्वयं-भू भगवान गणपति के प्रति लोगों की आस्था और श्रद्धा बढ़ती ही जा रही है। सबसे पहले यहां दो लोगों ने मूर्ति स्थापित कर पूजा की शुरुआत की। इसके बाद भक्तों की संख्या बढ़ती गई। अब गणेशोत्सव के 11 दिनों के अलावा बप्पा के वार बुधवार को भी महाआरती का आयोजन होता है । और भक्तों का तांता लगा रहता है।

सबसे पहले दो लोगों ने देखा था


मरारपारा में लगभग सौ साल पहले जमीन के भीतर से भगवान गणेश प्रगट हुए। मन्दिर के सदस्य व पार्षद सुनील जैन ने बताया कि बालोद जिला मुख्यालय के मरारापारा (गणेश वार्ड) में लगभग 100 साल पहले जमीन के भीतर से भगवान गणेश प्रगट हुए। सबसे पहले स्व. सुल्तानमल बाफना और भोमराज श्रीमाल की नजर पड़ी।

बताया जाता है कि पहले बाफना परिवार के किसी सदस्य के सपने में बप्पा आये थे। इसके बाद दोनों ने स्वयं-भू गणपति के चारों ओर टीन शेड लगाकर एक छोटा सा मंदिर बनाया था। इसके बाद लोगों व भक्तों की आस्था इस मंदिर व भगवान गणेश के प्रति बढ़ता गया और मंदिर का विस्तार होता गया। और इन दोनों के निधन के बाद से अब उनके परिवार व मौर्या मण्डल परिवार के सदस्य पूजा-अर्चना करते आ रहे हैं।

बढ़ते जा रहा आकार, भगवान के पैर अभी भी जमीन के

बता दें कि छत्तीसगढ़ (chhattisgarh ganeshotsav) के इस स्वयं-भू श्री गणेश के घूटने तक का कुछ हिस्सा अभी भी जमीन के भीतर है। लोग बताते हैं कि पहले गणेश जी का आकार काफी छोटा था लेकिन धीरे धीरे बढ़ता गया और आज बप्पा विशाल स्वरूप में हैं। गणपति का आकार लगातार बढ़ता देख भक्तों ने वहां पर मंदिर बनाया है। मंदिर में दूर दराज के लोग अपनी मनोकामना लेकर आते हैं। यहां की मान्यता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से इस स्वयम्भू गणेश की पूजा आराधना कर मनोकामना मांगते है उनकी मनोकामना पूरी भी होती है।

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