Chhattisgarh Foundation Day : विकास के नये आयाम गढ़ता छत्तीसगढ़ |

Chhattisgarh Foundation Day : विकास के नये आयाम गढ़ता छत्तीसगढ़

Chhattisgarh Foundation Day: Chhattisgarh creates new dimensions of development

Chhattisgarh Foundation Day

डॉ. संजय शुक्ला। Chhattisgarh Foundation Day : धान का कटोरा” छत्तीसगढ़ राज्य आज अपना स्थापना दिवस मना रहा है। इस अवसर पर राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का भी आयोजन किया जा रहा है जिसमें देश के विभिन्न राज्यों सहित 9 देशों के आदिवासी लोककला समूहों द्वारा प्रस्तुति दी जाएगी। समारोह का उद्घाटन छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल करेंगे जबकि समापन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन शिरकत करेंगे। गौरतलब है कि अटल बिहारी वाजपेई के नेतृत्व वाले एनडीए सरकार ने 1 नवंबर 2000 को छत्तीसगढ़ सहित झारखंड और उत्तराखंड राज्य गठन के फैसले को मूर्तरूप दिया।

समृद्ध वन और खनिज संपदा वाले छत्तीसगढ़ राज्य में स्थापना काल से ही विकास की असीम संभावनाएं थी जिसे साकार करने में हर सरकारों ने अपना योगदान दिया। भूपेश बघेल की अगुवाई में “गढ़बो नवा छत्तीसगढ़” ध्येय वाक्य को आत्मसात कर इस सरकार ने विकास की एक नई परिभाषा गढ़ी है। वर्तमान सरकार ने विकास को समावेशी स्वरूप देने के लिए कृषि और ग्रामीण क्षेत्र को पहले पायदान पर रखा है।

छत्तीसगढ़ मूल रूप (Chhattisgarh Foundation Day) से कृषि प्रधान राज्य है जिसकी मुख्य फसल धान है। राज्य के अलग -अलग हिस्सों में धान की अनेक किस्में पैदा की जाती है जिसमें सुगंधित किस्मों की मांग देश और दुनिया भर में है। वर्तमान सरकार ने किसानों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए अनेक क्रांतिकारी फैसले लिए जिसमें धान का समर्थन मूल्य 2500 रूपए क्विंटल करने, किसान ऋण माफी तथा बोनस जैसे आर्थिक निर्णय मुख्य हैं।

भूपेश बघेल की अध्यक्षता वाली पुरानी प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने साल 2018 के विधानसभा चुनाव अभियान में किसान और किसानी को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए छत्तीसगढ़ के चार चिन्हारी नरवा,घुरूवा,गरूवा अउ बारी,ऐला बचाना हे संगवारी नारा दिया था। विगत विधानसभा चुनाव में कृषि संवर्धन और किसानों के आर्थिक स्वावलंबन के दृष्टिगत वरिष्ठ मंत्री और विधानसभा में तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष टी.एस.सिंहदेव की अगुवाई में तैयार चुनाव घोषणापत्र ने कांग्रेस के सत्ता में वापसी में निर्णायक भूमिका निभाई।

महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज के अवधारणा में ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मजबूती थी जिसे छत्तीसगढ़ सरकार ने मूर्तरूप देने के लिए अनेक योजनाएं लागू की है।इन योजनाओं में किसानों और पशुपालकों हेतु ‘राजीव गांधी न्याय योजना’,’गोधन न्याय योजना’ के तहत गोबर और गोमूत्र की खरीदी,कृषि में जैविक खाद के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए गोबर से बने जैव कीटनाशक और जैव उर्वरक के उत्पादन को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके अलावा महिला स्वसहायता समूहों के माध्यम से गोबर से बने विभिन्न त्योहारी समानों जैसे दिया, टोकरी,रंगाई -पुताई के लिए पेंट इत्यादि के निर्माण से ग्रामीण कुटीर उद्योगों को बढ़ावा मिल रहा है। कोरोना महामारी के दौरान जब दुनिया भर की अर्थव्यवस्था औंधे मुंह शीर्षासन मुद्रा में थी तब छत्तीसगढ़ राज्य अपने गांव और किसानी के सहारे अर्थव्यवस्था और रोजगार को थामे हुई थी।

किसी भी देश या समाज के आर्थिक और सामाजिक विकास की बुनियाद शिक्षा और स्वास्थ्य है। छत्तीसगढ़ सरकार ने इन दोनों बुनियादी क्षेत्रों में उत्साहजनक कार्य किया है। सरकारी शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था हमेशा से ही भरोसे के पैमाने में दोयम साबित होती रही है लेकिन राज्य सरकार के दूरदर्शी नीतियों ने बहुत हद तक इस मिथक को तोडऩे में सफलता पाई है। प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्चतर माध्यमिक शिक्षा के गुणवत्ता में सुधार के लिए किए गए लगातार कोशिशों का परिणाम है कि हमारे छात्र अखिल भारतीय स्तर के प्रवेश परीक्षाओं में अच्छी सफलता प्राप्त कर रहे हैं।

वर्तमान दौर में जब सफलता का पैमाना अंग्रेजी भाषा का ज्ञान हो चला है तब राज्य सरकार ने अपने कुछ स्कूलों को स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल के रूप में बदलकर शिक्षा में भेदभाव की खाई को पाटने की दिशा में अभूतपूर्व कदम उठाया है। सरकार के इस योजना से गांव और गरीब परिवारों के बच्चों को भी अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा का अवसर मिल रहा है जिनके लिए निजी अंग्रेजी स्कूलों में पढ़ाई करना दूर की कौड़ी थी। सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में भी उच्च शिक्षा के कालेज और तकनीकी प्रशिक्षण संस्थान खोले गए हैं ताकि ग्रामीण छात्रों तक उच्च शिक्षा की पहुंच के साथ उनका कौशल उन्नयन संभव हो सके।

स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में डॉ.खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता योजना, मुख्यमंत्री हाट-बाजार क्लिनिक, शहरी स्लम स्वास्थ्य क्लिनिक,दाई-दीदी मोबाइल क्लिनिक और श्री धन्वंतरि जेनेरिक मेडिकल जैसी अनेक योजनाएं लागू की है। राज्य में लगातार नये मेडिकल कॉलेजों की स्थापना हो रही है तथा समाज के अंतिम व्यक्ति तक स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच बनाने के लिए चिकित्सा सुविधाओं का विस्तार किया जा रहा है। इन प्रयासों का ही परिणाम है कि राज्य में सुपोषण का प्रतिशत लगातार बढ़ रहा है।

छत्तीसगढ़ी भाषा, लोककला, तीज-त्योहार, परंपरा, संस्कृति, खानपान, हस्तकला और पारंपरिक खेलों को सहेजने और संवर्धित करने की भरपूर कोशिश की जा रही है। आधुनिक सभ्यता जहां पुरातन परंपराओं और संस्कृति को खत्म कर रही है वहीं राज्य सरकार आधुनिक विकास के बयार के बीच छत्तीसगढ़ के पुरातन परंपरागत त्योहारों और परंपराओं के सरकारी आयोजनों से इन्हें प्रोत्साहित करने में जुटी हुई है। राज्य के प्रमुख त्योहार अक्ती, हरेली, तीजा-पोरा, गोवर्धन पूजा जैसे पर्व मुख्यमंत्री के मौजूदगी में मनाया जा रहा है।

इसके अलावा छत्तीसगढ़ के किसानों और मजदूरों के पारंपरिक भोजन बोरे-बासी को आम लोगों तक लोकप्रिय बनाने के लिए मजदूर दिवस 1 मई को बकायदा मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों, जनप्रतिनिधियों, अधिकारियों और जनसामान्य ने बोरे-बासी खाकर मनाया गया। इस त्योहार की धूम ऐसी की छत्तीसगढ़ सहित अन्य राज्यों सहित सात समंदर पार विदेशों में बसे छत्तीसगढिय़ों सहित अन्य प्रांतीय लोगों ने इस परंपरागत पौष्टिक भोजन का स्वाद लिया। राज्य के परंपरागत 14 खेलों को बढ़ावा देने के लिए बीते 6 अक्टूबर से छत्तीसगढिय़ा ओलंपिक का आगाज किया गया है।

आगामी 6 जनवरी 2023 तक चलने वाले इस खेल उत्सव का आयोजन विभिन्न स्तरों पर किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ी पहचान को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए किए जा रहे इस आयोजन के प्रति शहरी, कस्बाई और ग्रामीण इलाकों के बच्चों, युवाओं, महिलाओं और बुजुर्गों में काफ ी उत्साह देखने को मिल रहा है। बेशक इस आयोजन ने वैश्विक महामारी कोरोना की त्रासदी और पीड़ा पर राहत भरा मरहम लगाया है।

दरअसल आम छत्तीसगढिय़ा उत्सवधर्मी और आत्मसंतोषी होता है और उसे असल सुकून अपने परंपराओं अपने माटी में ही मिलता है।यह बताने में जरा भी संकोच नहीं कि सरकार के कामकाज और व्यवहार में मूल संस्कृति के बढ़ते प्रभाव का ही असर है कि अब राज्य के मंत्रालय, संचालनालय से लेकर जिला स्तर के मैदानी कार्यालयों में छत्तीसगढ़ी भाषा की धमक बढ़ी है और लोग साधिकार इस भाषा का प्रयोग कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ी लोकगीत, लोकसंगीत और लोकनाट्य कलाकारों के अवदान को चिरस्थाई बनाए रखने और नई पीढ़ी को मूल संस्कृति के प्रति प्रेरित करने के उद्देश्य से तीन नये राज्य अलंकरण पुरस्कार की घोषणा की है।

छत्तीसगढ़ राज्य (Chhattisgarh Foundation Day) एक औद्योगिक और व्यापारिक राज्य है फ लस्वरूप यहां एक लघु भारत बसता है। सरकार ने राज्य के मूल संस्कृति और परम्पराओं को बढ़ावा देने के साथ ही अन्य राज्यों के त्योहारों और संस्कृति को अपनी सौंधी महक बिखेरने में पर्याप्त सहूलियत प्रदान की है। शायद अपनी जड़ों से जुड़े रहकर अन्य राज्यों की परंपराओं और संस्कृति को भी सिंचित करने की सहज प्रवृत्ति के कारण ही छत्तीसगढिय़ा सबले बढिय़ा जैसी उक्ति चरितार्थ हो रही है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *