Chhattisgarh Child Police : पिता की वर्दी अब बेटे के नाम... महज 6 साल की उम्र में बाल पुलिस बना उज्जवल नेताम...

Chhattisgarh Child Police : पिता की वर्दी अब बेटे के नाम… महज 6 साल की उम्र में बाल पुलिस बना उज्जवल नेताम…

Chhattisgarh Child Police

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छत्तीसगढ़ पुलिस में 18 साल तक सेवा देने वाले आरक्षक की मृत्यु के बाद उसके बेटे को ‘बाल पुलिस’ का दर्जा मिला, यानी एक मासूम के कंधों पर अब परिवार और फर्ज दोनों की ज़िम्मेदारी है।

Chhattisgarh Child Police : कुछ कहानियां दिल को छू जाती हैं, और कुछ आंखों को नम कर जाती हैं। ऐसी ही एक कहानी है उज्ज्वल नेताम की है, जो अब ‘बाल पुलिस’ की नौकरी करेगा। उज्ज्वल महज 6 साल का है, लेकिन जिम्मेदारियों का बोझ उसके कंधों पर किसी जवान से कम नहीं।

Chhattisgarh Child Police
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आरक्षक आलोक नेताम, जिन्होंने छत्तीसगढ़ पुलिस में 18 वर्षों तक अपनी सेवा दी, 15 अप्रैल 2025 को सड़क दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई। पुलिस विभाग के नियमानुसार दिवंगत आरक्षक के बेटे को रायपुर के एसएसपी डॉ. लाल उम्मेद सिंह द्वारा पुलिस का नियुक्ति आदेश सौंपा गया।

यह सम्मान न केवल उनके पिता की नौकरी का है, बल्कि एक बच्चे की मासूम आंखों में बसे सपनों को भी सहारा देता है। उज्ज्वल की मां रामेश्वरी नेताम और बहन सोनाली नेताम, जो बिलासपुर जिले के मस्तुरी ब्लॉक के त्रिस्दा गांव में रहती हैं, अब इस मासूम के सहारे जिएंगी और बहन का भविष्य उज्ज्वल करेगा।

बाल पुलिस की वर्दी के साथ उज्ज्वल के जीवन में न सिर्फ़ इज्ज़त जुड़ी (Chhattisgarh Child Police), बल्कि परिवार के भविष्य की उम्मीद भी। छत्तीसगढ़ पुलिस का यह मानवीय फैसला पूरे समाज के लिए एक मिसाल है।

बाल आरक्षक के रूप में नियुक्त हुए उज्ज्वल नेताम को प्रारंभिक स्तर पर शासन द्वारा निर्धारित मासिक वेतनमान, अनुशासन भत्ता और अन्य सुविधाएं प्रदान की जाएंगी। वहीं उज्जवल के 18 वर्ष पूरे होने के बाद उसे पूरी सैलरी, प्रशिक्षण अवधि पूरी करने के बाद और पदोन्नति के साथ क्रमशः बढ़ेगी। आरक्षक की पत्नी रामेश्वरी नेताम को भी पेंशन मिलती रहेगी।

इसके साथ ही, शासन द्वारा समय-समय पर चिकित्सा सुविधा, वर्दी भत्ता, यात्रा भत्ता और बीमा जैसी अन्य ज़रूरी सुविधाएं भी प्रदान की जाएंगी, ताकि बच्चा अपनी पढ़ाई और नौकरी दोनों को संतुलित रूप से निभा सके। यह न केवल परिवार की आर्थिक सहायता का माध्यम बनेगा, बल्कि दिवंगत पिता की सेवा परंपरा को भी आगे बढ़ाने का अवसर होगा।

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