छत्तीगढिय़ा वैद्यों के आएंगे अच्छे दिन, सीएम ने किया ये बड़ा ऐलान
रायपुर/नवप्रदेश। छत्तीसगढ़ (chhattisgarh) के वैद्यों (ayurvedic physician) व जड़ी बूटियों के जानकार लोगों के अब अच्छे दिन (acche din) आने वाले हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (chief minister bhupesh baghel) ने इस दिशा में रविववार को बड़ा ऐलान किया है।
मुख्यमंत्री बघेल (chief minister bhupesh baghel) ने कहा कि प्रदेश में अब ट्रेडिशनल मेडिकल बोर्ड (traditional medical board) का गठन किया जाएगा।
इस बोर्ड (traditional medical board) के जरिए छत्तीसगढ़ (chhattisgarh) के परंपरागत वैद्यों (ayurvedic physician) के ज्ञान को लिपिबद्ध करने, जड़ी बूटियों के संरक्षण- संवर्धन तथा वैद्यों के ज्ञान का लाभ पूरे समाज तक पहुंचाया जा सकेेगा।
मुख्यमंत्री ने राजधानी रायपुर स्थित पंडित जवाहर लाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय के सभागार में राज्य स्तरीय परम्परागत वैद्य सम्मेलन सह प्रशिक्षण कार्यक्रम में यह घोषणा की।
इन्होंने किया था कार्यक्रम का आयोजन
यह आयोजन छत्तीसगढ़ राज्य योजना आयोग, राज्य औषधि पादप बोर्ड, लघु वनोपज संघ तथा वन विभाग के संयुक्त तत्वाधान में किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने की। छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ के अध्यक्ष भरत साय और मुख्यमंत्री के सलाहकार प्रदीप शर्मा विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित थे। सीएम की इस घोषणा से प्रदेश के वैद्यों के अच्छे दिन (acche din) आना तय माना जा रहा है।
मुख्यमंत्री की बड़ी बातें
- मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ में हजारों वर्षों से वैद्य द्वारा जड़ी-बूटियों से परंपरागत ढग़ से इलाज किया जा रहा है, लेकिन यह परंपरा आज पिछड़ गई है, क्योंकि हमने अपने ज्ञान का दस्तावेजीकरण नहीं किया और ज्ञान बांटा नहीं।
- छत्तीसगढ़ के ग्रामीण बहुमूल्य जड़ी-बूटियों को हाट- बाजारों में पसरा में औने पौने दाम पर बेच देते हैं। राज्य सरकार का यह भी प्रयास है कि लोगों को जड़ी बूटियों का सही मूल्य मिले।
- जिस तरह से एलोपैथिक डॉक्टर एमबीबीएस के बाद मेडिसिन में एमडी या सर्जरी में एमएस कर विशेषज्ञता हासिल करते हैं, उसी तरह कौन से वैद्य किस विशेष बीमारी का इलाज करने में दक्ष है, इसकी भी जानकारी संकलित की जानी चाहिए।
- छत्तीसगढ़ के महत्वपूर्ण ऐतिहासिक और पुरातात्विक स्थल सिरपुर में सुप्रसिद्ध रसायनज्ञ नागार्जुन रहते थे। यहां मेडिसिन कैसे बनाई जाती थी, इसके भी प्रमाण मिले हैं।
- छत्तीसगढ़ के किस क्षेत्र में कौन सी जड़ी बूटी प्रमुखता से मिलती है, यह जानकारी भी संकलित की जानी चाहिए। हो सकता है अमरकंटक में जो वनौषधि मिलती है, वह बस्तर में ना मिलती हो।