संपादकीय: बिहार में बहुकोणीय मुकाबले के आसार

Chances of a multi-cornered contest in Bihar
Chances of a multi-cornered contest in Bihar: बिहार विधानसभा चुनाव में अभी चार माह का समय शेष है लेकिन अभी से वहां चुनावी सरगर्मियां तेज हो गई हैं। वैसे तो हर बार की तरह इस बार भी वहां एनडीए और आईएनडीआईए के बीच ही सीधा मुकाबला होना तय है लेकिन इस बार बिहार में बहुकोणीय मुकबाले के आसार नजर आ रहे हैं। चर्चित चुनावी रणनीतिकार प्रशान्त किशोर अपनी नई नवेली जनसुराज पार्टी के बैनर तले पिछले कई माह से पूरे बिहार में पद यात्रा करते घुम रहे हैं।
उनकी सभाओं में भारी भीड़ भी उमड़ रही है अब यह भीड़ वोटों के रूप में कितनी तब्दील होती है यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा बकौल प्रशान्त किशोर बिहार में बदलाव की बयार बह रही है और बड़ी संख्या में लोग जनसुराज पार्टी से जुड़ रहे हैं। भले ही जनसुराज पार्टी सत्ता में न आये लेकिन वह एनडीए और राष्ट्रीय जनता दल के नेतृत्व वाले महागणबंधन का कई सीटों पर खेल बिगाड़ सकती है।
प्रशांत किशोर ने चालीस सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार खड़े करने की घोषणा करके महागठबंधन की मुश्किले बढ़ा दी है। वैसे भी बिहार में सभी राजनीतिक पार्टियों की नजरें मुस्लिम वोटों पर टीकी हुई है जिनकी आबादी वहां 18 प्रतिशत है। बिहार के पांच जिलों में मुस्लिम आबादी पच्चीस से पैंसठ प्रतिशत है और सीमांचल की कई सीटों सहित लगभग पचास सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं।
उत्तप्रदेश और बंगाल की तरह बिहार में मुस्लिम एकतरफा वोट नहीं करते। इनके वोट बंटते हैं। नीतीश कुमार की जेडीयू को भी अच्छे खासे मुस्लिम वोट पड़ते हैं। यही वजह है कि राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव ने मुस्लिम वोटों को महागठबंधन के पक्ष में एकजुट रखने की कवायद शुरू कर दी है। और वक्फ कानून को लेकर उन्होंने यह बड़ा बयान दिया है कि यदि बिहार में महागठबंधन की सरकार बन जाएगी तो वे वक्फ कानून को कूडे में फेंक देंगे। इस बीच अस्सुद्दीन ओवैसी ने भी महागठबंधन की परेशानी पर बल ला दिया है।
ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने पिछले विधानसभा चुनाव में बीस सीटों पर चुनाव लड़ा था जिनमें से चार सीटों ंपर उसे जीत मिली थी। इस बार ओवैसी ने राजद के नेतृत्व वाले महागठबंधन में शामिल होने की इच्छा जताई थी ताकि मुस्लिम वोटों का बंटवारा न हो पाये। किन्तु ओवैसी की पार्टी को महागठबंधन का हिस्सा बनाने के विषय को लेकर महागठबंधन में मतभेद उभर आये हैं। लालू प्रसाद यादव नहीं चाहते कि ओवैसी की पार्टी को महागठबंधन में शामिल किया जाये।
नतीजतन अब ओवैसी ने ऐलान कर दिया है कि उनकी पार्टी अकेले अपने बलबूते पर बिहार विधानसभा मेें पचास से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ेगी जो क्षेत्रीय पार्टियां एनडीए और महागठबंधन में शामिल नहीं हो पा रही है उन्हें भी साथ लेकर ओवैसी बिहार में तीसरा मोर्चा बनाने की कवायद कर रहे हैं। इस बीच आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयाजक अरविंद केजरीवाल ने भी बिहार की सभी सीटों पर चुनाव लडऩे की घोषणा कर दी है।
इससे अब बिहार में बहुकोणीय मुकाबले की स्थिति बनती नजर आ रही है। बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग ने वोटरलिस्ट में सुधार करने के लिए मतदाता सूची के गहन परीक्षण का जो काम शुरू किया है उसे लेकर भी बिहार में जमकर सियासत हो रही है। बिहार में लगभग सात करोड़ मतदाता है जिनमें से लगभग दो करोड़ मतदाताओं की छानबीन की जा रही है। चुनाव आयोग की इस कार्यवाही का भी राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी पार्टियों ने विरोध किया है और इसे वोटरों के नाम काटने की साजिश करार दे रहे हैं।
इस मामले में ओवैसी भी कूद पड़े हैं और उन्होंने भी चुनाव आयोग की इस कार्यवाही का विरोध किया है कुल मिलाकर बिहार विधानसभा चुनाव ज्यों-ज्यों नजदीक आ रहे हैं त्यौं-त्यौं वहां चुनावी सरगर्मियां तेज होने लगी है। अभी तो एनडीए और महागठन के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर भी घमासान मचने वाला है। इन गठबंधनों में शामिल जिन क्षेत्रीय दलों को उनके मन माफिक हिस्सेदारी नहीं मिलेगी वे पाला बदल सकते हैं।
ऐसे क्षेत्रीय दलों पर न सिर्फ प्रशान्त किशोर की जनसुराज पार्टी और आम आदमी पार्टी की नजर होगी बल्कि ओवैसी भी ऐसी असंतुष्ट क्षेत्रीय पार्टियों पर डोरा डाल सकते हैं ताकि बिहार में वे तीसरा मोर्चा गठित कर अपनी ताकत दिखा सकें। कुल मिलाकर बिहार में इस बार रोचक चुनावी मुकाबला देखने को मिल सकता है।