chanakya neeti: दूरी मन की होती है, स्थान की नहीं : आचार्य चाणक्य |

chanakya neeti: दूरी मन की होती है, स्थान की नहीं : आचार्य चाणक्य

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chanakya neeti: जिसके प्रति लगाव, अर्थात् सच्चा प्रेम है, वह उससे दूर रहता हुआ भी समीप होता है। इसके विपरीत जिसके प्रति लगाव नहीं है, वह प्राणी समीप होते हुए भी दूर होता है। वस्तुतः मन का लगाव न होने पर आत्मीयता बन ही नहीं पाती, किसी प्रकार का सम्बन्ध जुड़ ही नहीं पाता।

कहने का अभिप्रायः यह है कि हमारे मन में बसा स्नेही दूर देश (chanakya neeti) का निवासी होते हुए भी दूर नहीं, और जो पड़ोस में रहता हुआ भी वैमनस्य रखता है वह दूर हो जाता है। दूरी मन की होती है, स्थान की नहीं होती।

जिस किसी प्राणी से मनुष्य को किसी भी प्रकार के लाभ मिलने की आशा है, उससे सदैव मधुर और प्रिय व्यवहार ही करना चाहिए। (chanakya neeti) उदाहरण स्वरूप मृग का शिकार करने की इच्छा रखने वाला चालाक शिकारी भी उसे मोहित करने के लिए उसके आस-पास बने रहकर मधुर स्वर में गीत गाता है।

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