chanakya neeti: यदि व्यक्ति स्वयं में समर्थ हो तो उसे दुर्जनों को..
chanakya neeti: जो गुरू शिष्य की मिथ्या माया-मोह से हटकर ईश्वर का साक्षात्कार कराता है, इस संसार में उसके पश्चात् किसी चीज की आवश्यकता नहीं होती। ऐसे गुरू के उपकार भार से मुक्त होने के लिए शिष्य पृथ्वी के समस्त वैभव को अर्पित करके भी कर्जमुक्त नहीं हो सकता।
कहने का अभिप्रायः (chanakya neeti) यह है कि अध्यात्म के तत्वाधान का उपदेश सर्वाधिक महत्वपूर्ण व मूल्यवान है। इसके सामने संसार के सभी पदार्थ तुच्छ एवं नगण्य हैं।
दुर्जन पुरुष और कांटों से छुटकारा पाने के केवल दो मार्ग हैं-प्रथम, जूतों से उनका मुंह तोड़ देना। द्वितीय, यदि यह सम्भव न हो तो फिर दूर से ही उनका त्याग कर देना।
यदि व्यक्ति स्वयं में समर्थ (chanakya neeti) हो तो उसे दुर्जनों को दण्डित करना चाहिए और यदि समर्थ न हो, तो उनसे किनारा करना चाहिए।