chanakya neeti: आचार्य चाणक्य ने कहा-धन सब कुछ नहीं, किन्तु धन के बिना भी जीवन…
chanakya neeti: चाणक्य नीति
chanakya neeti: दुर्जन और सांप दोनों ही एकसमान कष्टदायी होते हैं लेकिन यदि दोनों में से एक के साथ मजबूरीवश रहना पड़े तो आचार्य चाणक्य के विचारानुसार सांप के साथ रहना, दुर्जन के साथ रहने से अच्छा है।
सांप तो अपने जीवन की रक्षा हेतु एक बार ही काटता है, किन्तु दुर्जन समय-असमय, कदम-कदम पर अनेक प्रकार के कष्ट देता रहता है। दुर्जन व्यक्ति द्वारा पहुंचायी गयी पीड़ा सर्पदंश से भी अधिक पीड़ित करने वाली होती है।
अतः दुर्जन से कोई व्यवहार नहीं रखना चाहिए। वह कभी भी विश्वासघात करके हानि पहुंचा सकता है। इस भू-लोक पर संसार की यही रीति है कि धन-सम्पन्न होने पर मुनष्य के मित्रों, बन्धु-बान्धवों की संख्या बहुत बढ़ जाती है।
धन की प्रचुरता ही मनुष्य के समाज में अधिक यश दिलवाती है। धनाढ्य व्यक्ति ही शान से रह सकता है। धन सब कुछ नहीं, किन्तु धन के बिना भी जीवन-यात्रा पूर्ण नहीं होती।
सत्य तो यह है कि इस संसार में केवल धनवान को ही विद्वान और सम्मानित व्यक्ति समझा जाता है। धनहीन के गुण न केवल उपेक्षित हो जाते हैं अपितु उसे तो मनुष्य ही नहीं समझा जाता, उसकी बेइज्जती की जाती है। धनहीन व्यक्ति को सभी हीन दृष्टि से देखते हैं।