chanakya neeti: आचार्य चाणक्य ने विद्या सभी प्रकार का फल दे सकती है, लेकिन उसे..
chanakya neeti: विद्या के बिना मनुष्य का जीवन उस कुत्ते की पूंछ जैसा होता है जो अपने शरीर के ऊपर से मक्खी को नहीं हटा सकता और न ही अपने गुप्त अंगों को ढंक सकता।
अभिप्राय यह है कि जिस प्रकार कुत्ते की पूंछ न तो उसकी गुदा को ढंक सकती है और न ही मच्छरों के डंक के उसका बचाव कर सकती है, इसलिए वह निरर्थक है।
ठीक उसी प्रकार विद्या (chanakya neeti) से रहित मनुष्य का जीवन भी व्यर्थ है, क्योंकि वह मूर्ख होने के कारण न तो अपनी रक्षा करने में और न ही परिवार के गुप्त रहस्यों को छिपाने में समर्थ होता है और न ही अपने शत्रुओं के प्रहार को रोक पाता है। इसलिए विद्याहीन व्यक्ति का जीवन सर्वथा निरर्थक है।
क्रोध से मनुष्य का विनाश होता है इसलिए क्रोध को साक्षात् यमराज कहा गया है। तृष्णा को वैतरणी नहीं कहा जाता है क्योंकि तृष्णा का मिटना उतना ही कठिन है जितना वैतरणी को पार करना।
विद्या (chanakya neeti) सब प्रकार का फल देती है, इसलिये वह वंदनीय है, किन्तु सन्तोष का स्थान निर्बाध आनन्द देने वाला होने के कारण सबसे ऊपर है। साथ ही सन्तोष इन्द्र के विहार-स्थल नन्दन वन के समान मोहक और असीम सुखद भी होता है।