Chaitanya Baghel ED case : भूपेश बघेल के बेटे की गिरफ्तारी पर सुप्रीम कोर्ट ने टाली सुनवाई, घोटाले पर की अहम टिप्पणी
Chaitanya Baghel ED case
छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी को लेकर दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई जनवरी 2026 के पहले सप्ताह तक के लिए टाल दी है। शीर्ष अदालत ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि (Chaitanya Baghel ED case) को “टुकड़ों में” नहीं सुना जा सकता और पूरे मामले को एक साथ सुनना जरूरी है।
गुरुवार को प्रधान न्यायाधीश सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जायमाल्य बागची की पीठ ने यह टिप्पणी उस समय की, जब चैतन्य बघेल की ओर से प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा की गई गिरफ्तारी और मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (PMLA) की कुछ धाराओं को चुनौती दी गई। चैतन्य बघेल को ईडी ने 18 जुलाई को कथित शराब घोटाले से जुड़े मामले में गिरफ्तार किया था, जिसके बाद से यह मामला राजनीतिक और कानूनी दोनों स्तरों पर चर्चा का विषय बना हुआ है।
सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने अदालत के समक्ष दलील दी कि केंद्रीय जांच एजेंसियां लगातार दमनकारी कार्रवाई कर रही हैं। उन्होंने कहा कि किसी व्यक्ति को गिरफ्तार कर जांच जारी रखना और बार-बार नए वारंट जारी करना न्यायसंगत नहीं है। सिब्बल ने जोर देकर कहा कि (Chaitanya Baghel ED case) में चयनात्मक कार्रवाई का आरोप गंभीर है और अदालत को इस पर समग्र दृष्टिकोण अपनाना चाहिए।
वहीं, ईडी की ओर से पेश अधिवक्ता जोहेब हुसैन ने पीठ को बताया कि चैतन्य बघेल की जमानत याचिका हाई कोर्ट में सुनवाई के बाद सुरक्षित रखी गई है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब आरोपी न्यायिक हिरासत में है, तब दमनकारी कार्रवाई का आरोप कैसे लगाया जा सकता है। ईडी ने यह भी कहा कि आरोपी अन्य मामलों में अग्रिम जमानत की मांग कर रहा है, जिससे जांच प्रभावित हो सकती है।
सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कहा कि यह मामला केवल एक गिरफ्तारी तक सीमित नहीं है, बल्कि इससे जुड़े कई पहलू हैं, जिन पर एक साथ विचार आवश्यक है। अदालत ने स्पष्ट किया कि (Chaitanya Baghel ED case) समेत इससे जुड़े सभी मुद्दों पर जनवरी में विस्तार से सुनवाई की जाएगी।
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में कथित शराब घोटाले के अलावा महादेव बेटिंग ऐप, चावल मिल, कोयला और डीएमएफ घोटालों से जुड़े मामलों की जांच भी विभिन्न केंद्रीय एजेंसियां कर रही हैं। ये सभी मामले उस समय के हैं, जब राज्य में भूपेश बघेल मुख्यमंत्री थे। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट का यह रुख आने वाले समय में इस पूरे मामले की दिशा तय करने वाला माना जा रहा है।
