Cg Ripa Project: भूपेश सरकार की रीपा योजना से बढ़ा दाई-बहिनी का मान

cg ripa project
0 रीपा से ग्रामीण परिदृश्य में सकारात्मक बदलाव
0 योजना से गांव की माता और बहनों को मिला संबल
रायपुर/नवप्रदेश डेस्क। cg ripa project: छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार की महती योजना से सिर्फ गांव ही नहीं ग्रामीण महिलाओं में भी आत्मनिर्भरता की अलख जगी है। पहले रोजगार के अभाव और महज मजदूरी के भरोसे रह रहे ग्रामीण और गांव की माँ, बहनें आर्थिक तंगी में जी रही थीं। उनकी प्रतिभा को भी पूर्ववर्ती सरकार ने आगे लाने की रीपा जैसी योजना नहीं लाइ।
इसका खामियाज़ा सिर्फ छत्तीसगढ़ के गांव और महिलाओं को भुगतना पड़ा। लेकिन अब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सरकार की रूरल इंडस्ट्रियल पार्क (रीपा) योजना से गांवों में ग्रामीणों को रोजगार व स्व-रोजगार के अवसर मिलने लगे हैं।

योजना का सीधा लाभ मिलता दिखने लगा है और गांव के साथ ग्रामीण महिलाएं स्वाभिमान के साथ आत्मनिर्भर भी हो रही हैं। गांवों को उत्पादन का केन्द्र और ग्रामीणों को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से शुरू की गई रीपा योजना अब ग्रामीण परिदृश्य में एक सकारात्मक बदलाव लाने लगी है। गरियाबंद ज़िले के फ़िंगेश्वर ब्लॉक में ग्राम पंचायत श्यामनगर स्थित रीपा में सिलाई यूनिट की स्थापना की गई है। यूनिट की स्थापना से लगभग 50 ग्रामीणों को रोज़गार मिला है।
इसके साथ ही यहां कार्यरत् महिलाओं को महिला एवं बाल विकास विभाग ने आंगनबाड़ी के बच्चों के लिए 14 हजार यूनिफार्म सिलाई का आर्डर दिया है। रीपा में समूह के सदस्यों द्वारा हथकरघा, अगरबत्ती निर्माण, धोबी का भी कार्य किया जा रहा है। ग्रामीण उद्यमिता को बढ़ावा देने, लघु एवं कुटीर उद्योग स्थापित करने के उद्देश्य से राज्य शासन द्वारा ग्रामीण औद्योगिक पार्क (रीपा) योजना से पहले पाई-पाई को तरसती माता-बहनों को अर्थक संबलता दे रहा है।
लघु उद्यमता से चेहरे की मुस्कान लौटी
राज्य सरकार द्वारा छोटे-छोटे उद्योग धंधों के लिए रीपा में पानी, बिजली, जमीन जैसी सभी जरूरी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराई गई है। रीपा के माध्यम से गांव के लोगों को जरूरी वस्तुएं आस-पास उपलब्ध हो रही हैं, जिसके कारण अब उन्हें दूर शहरों की ओर नहीं जाना पड़ता। उत्पादों की अच्छी गुणवत्ता के कारण आसपास के शहर-गांवों से सप्लाई के आर्डर मिलने प्रारंभ हो गए हैं।
व्यवसायिक गतिविधियों को रीपा के साथ जोड़कर संरक्षित करने के साथ ग्रामीणों को आत्मनिर्भर बनाने का कार्य किया जा रहा है। इससे स्थानीय स्तर पर विभिन्न गतिविधियां संचालित होने से लोगों को बड़ी संख्या में रोजगार भी प्राप्त हो रहे हैं। वही पारंपरिक गतिविधियों के संचालन से ग्रामीणों के आयसंवर्धन में भी महती भूमिका निभा रही है।