CG Millet Mission : वनांचल महिलाओं को मिला आमदनी का नया जरिया
कोदो, कुटकी तथा रागी की खरीदी 31 जनवरी 2022 तक
रायपुर/नवप्रदेश। CG Millet Mission : कुछ साल पहले तक घरेलू व्यवसाय के क्षेत्र में महिलाएं ब्यूटी पार्लर और पापड़-अचार-बड़ी बनाने तक सीमित थीं, लेकिन अब उन्होंने शिल्प से लेकर वनोपज उत्पादों के निर्माण जैसे विभिन्न क्षेत्रों में कदम बढ़ाए हैं। समूहों में संगठित होकर वनांचलों में महिलाएं वनोपजों के प्रसंस्करण से हर्बल उत्पाद और उनसे विभिन्न खाद्य सामग्री तैयार करने के साथ बांस शिल्प टेराकोटा, बेल मेटल शिल्प, गोबर से विभिन्न सजावटी सामान बनाकर आय अर्जित कर रही हैं, वहीं शहरों में महिला समूह मिलेट स्मार्ट फूड, कपड़ों के बैग, साबुन, अगरबत्ती जैसे कई सामान बनाकर विक्रय रहे हैं।
इसी कड़ी में वनांचल के ग्राम गेदरा निवासी शीला बाई ने रागी को बेचकर (CG Millet Mission) काफी उत्साहित नजर आयी। यह संभव हो पाया राज्य के वन क्षेत्रों के आसपास निवासरत वनवासियों के द्वारा परम्परागत रूप से कोदो, कुटकी तथा रागी जैसे मिलेट फसलों की खेती को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार द्वारा इस वर्ष से समर्थन मूल्य पर खरीदी करने के निर्णय से।
इस संबंध में वनमंडलाधिकारी धमतरी सतोविशा समाजदार ने ग्राम गेदरा, तालपारा, केरेमुड़ा तथा कोलियारी का भ्रमण करते हुए बताया कि छोटे कृषक शीला बाई से 3.50 किलो ग्राम रागी की खरीदी कर धमतरी वनमंडल अंतर्गत कोदो, कुटकी तथा रागी की खरीदी कार्य का शुभारंभ किया गया। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार की इस महत्वपूर्ण नीति से वनांचल के ग्रामीण तथा कृषक काफी उत्साहित हैं। उनके द्वारा मिलेट्स फसल के उत्पादन के प्रति भरपूर रूचि दिखायी जा रही है। समाजदार ने बताया कि धमतरी वनमंडल अंतर्गत 18 प्राथमिक वनोपज समितियों के 90 ग्राम स्तर के महिला स्व-सहायता समूहों के माध्यम से कोदा, कुटकी तथा रागी की खरीदी के लिए पर्याप्त इंतजाम किए गए है।
उल्लेखनीय है कि एक दिसम्बर 2021 से 31 जनवरी 2022 तक चलने वाले इस खरीदी अभियान के तहत वनवासियों-किसानों से कोदो तथा कुटकी का समर्थन मूल्य 30 रूपए प्रति किलोग्राम तथा रागी का समर्थन मूल्य 33.77 रूपए प्रति किलोग्राम निर्धारित किया गया है। पिछले वर्षों के दौरान इन मिलेट फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं होने के कारण कोदो, कुटकी तथा रागी जैसे मिलेट (CG Millet Mission) फसलों का उत्पादन धीरे-धीरे कम होते जा रहे थे। राज्य सरकार द्वारा इन परिस्थितियों पर विचार करते हुए आदिवासी विकासखण्डों के अंतर्गत उत्पादित कोदो, कुटकी तथा रागी को इस वर्ष से छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ के माध्यम से खरीदी करने का निर्णय लिया गया है।